घर वापसी का इंतजार खत्म: पाकिस्तान ने लौटाया BSF जवान, अटारी सीमा पर खुशी की लहर
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-15 15:36:10

पंजाब के अटारी-वाघा सीमा पर बुधवार की सुबह एक भावुक दृश्य देखने को मिला, जब पाकिस्तान ने 23 अप्रैल को पकड़े गए सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंप दिया। BSF के एक प्रवक्ता ने बताया कि कांस्टेबल को सुबह 10:30 बजे पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा BSF को शांतिपूर्वक और स्थापित प्रोटोकॉल के तहत सौंपा गया। जवान की सुरक्षित वापसी ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे BSF में खुशी की लहर दौड़ा दी है।
गिरफ्तारी और वापसी के प्रयास
पूर्णम कुमार शॉ को 23 अप्रैल को फिरोजपुर जिले में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तान रेंजर्स ने पकड़ा था। यह घटना पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद हुई थी, जिससे स्थिति और भी संवेदनशील हो गई थी। BSF ने जवान की सुरक्षित वापसी के लिए लगातार प्रयास किए। पाकिस्तान रेंजर्स के साथ नियमित फ्लैग मीटिंग्स और अन्य संचार माध्यमों के जरिए बातचीत जारी रखी गई। BSF के अथक प्रयासों का ही यह परिणाम है कि कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ की वतन वापसी संभव हो सकी।
शांतिपूर्ण हस्तांतरण और प्रोटोकॉल का पालन
BSF प्रवक्ता ने बताया कि जवान का हस्तांतरण शांतिपूर्वक और स्थापित प्रोटोकॉल के तहत संपन्न हुआ। दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों ने इस प्रक्रिया में सहयोग किया, जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सका। इस सफल हस्तांतरण ने दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन और मानवीय मामलों में स्थापित प्रोटोकॉल के महत्व को दर्शाया है। यह घटना दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी बातचीत और स्थापित नियमों का पालन करके सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
परिवार और BSF में खुशी की लहर
पूर्णम कुमार शॉ की वतन वापसी की खबर से उनके परिवार और पूरे BSF में खुशी की लहर दौड़ गई है। जवान के सकुशल लौटने से उनके प्रियजनों ने राहत की सांस ली है। BSF के अधिकारियों और जवानों ने भी अपने साथी की सुरक्षित वापसी पर प्रसन्नता व्यक्त की है। यह घटना BSF के मनोबल को बढ़ाने वाली है और यह संदेश देती है कि संगठन अपने प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा और कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
मानवीय दृष्टिकोण और कूटनीतिक सफलता
पूर्णम कुमार शॉ की वतन वापसी को मानवीय दृष्टिकोण और कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। BSF के लगातार प्रयासों और पाकिस्तान रेंजर्स के सकारात्मक सहयोग से यह संभव हो सका। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं, लेकिन इस मानवीय पहल ने रिश्तों में थोड़ी नरमी जरूर दिखाई है। उम्मीद है कि भविष्य में भी इस तरह के मानवीय मामलों में दोनों पक्ष आपसी सहयोग और समझदारी का परिचय देंगे।