अखंडता पर आंच नहीं: जब भारत ने चीन को दिखाया आईना, अरुणाचल प्रदेश पर भारत की दो टूक
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-15 08:18:45

पूर्वी हिमालय की गोद में बसा अरुणाचल प्रदेश, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक महत्व के लिए जाना जाता है। हाल ही में, इस शांत प्रदेश की सीमा पर एक बार फिर शब्दों का घमासान देखने को मिला, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने की कोशिश की। इस पर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए चीन के इस प्रयास को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अरुणाचल प्रदेश "भारत का अभिन्न और अविচ্ছেद्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।" भारत का यह दृढ़ रवैया चीन की ऐसी हरकतों के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।
भारत का स्पष्ट और दृढ़ प्रत्युत्तर
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, "हमने देखा है कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नामकरण के अपने व्यर्थ और बेतुके प्रयासों पर कायम है। हमारी सुसंगत सैद्धांतिक स्थिति के अनुरूप, हम ऐसे प्रयासों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह का "रचनात्मक नामकरण" इस निर्विवाद वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न अंग है। प्रवक्ता ने जोर देकर कहा, "रचनात्मक नामकरण इस निर्विवाद वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविচ্ছেद्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।" भारत का यह प्रत्युत्तर न केवल स्पष्ट है, बल्कि देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
विदेश मंत्री का बेबाक बयान
इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट रूप से रखी थी। उन्होंने कहा था, "अगर आज मैं आपके घर का नाम बदल दूं, तो क्या वह मेरा हो जाएगा? अरुणाचल प्रदेश भारत का राज्य था, है और हमेशा रहेगा। नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता।" उन्होंने चीन के इस कदम को 'बेतुका' करार दिया था। विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा था, "मुझे लगता है कि हमने इसे सही ही बेतुका कहा। इसे बार-बार करने से भी यह बेतुका ही रहेगा। इसलिए मैं बहुत स्पष्ट होना चाहता हूं। अरुणाचल प्रदेश भारत था, है और हमेशा भारत रहेगा।" विदेश मंत्री का यह बेबाक बयान भारत के दृढ़ संकल्प और चीन के ऐसे प्रयासों को महत्व न देने की नीति को दर्शाता है।
चीन की 'नामकरण' की रणनीति
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदलने की कोशिश की है। अतीत में भी चीन ने इसी तरह के प्रयास किए हैं, जिन्हें भारत ने हमेशा दृढ़ता से खारिज किया है। चीन की इस रणनीति को सीमा पर अपनी दावेदारी को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, भारत ने हमेशा स्पष्ट किया है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है और इस पर किसी भी तरह का दावा अस्वीकार्य है। चीन की यह 'नामकरण' की रणनीति अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उसे आलोचना का शिकार बनाती है, क्योंकि यह किसी भी देश की संप्रभुता का उल्लंघन माना जाता है।
अखंडता सर्वोपरि
भारत ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उसकी क्षेत्रीय अखंडता सर्वोपरि है और वह किसी भी ऐसे प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेगा जो देश की एकता और संप्रभुता को चुनौती देता हो। अरुणाचल प्रदेश के लोग भी भारत का अटूट हिस्सा हैं और उन्होंने हमेशा देश के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है। चीन के नाम बदलने के प्रयासों का अरुणाचल प्रदेश के लोगों की राष्ट्रीय भावना और भारत के प्रति उनके जुड़ाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत सरकार अपनी सीमाओं की सुरक्षा और अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और चीन के ऐसे किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी इंच-इंच भूमि की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है।