ज़हर मुक्त जल: आईआईटी जोधपुर की अनूठी तकनीक से आर्सेनिक की त्वरित पहचान, जीवन रक्षा की नई उम्मीद


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-14 21:16:03



 

देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में सुरक्षित पेयजल की कमी एक गंभीर समस्या है, जो लाखों लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण नवाचार किया है। उन्होंने एक किफायती, पोर्टेबल और सटीक सेंसर विकसित किया है, जो पानी में घातक आर्सेनिक तत्व की पहचान कर सकता है। यह तकनीक न केवल सुलभ है बल्कि उपयोग में भी बेहद आसान है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसे आसानी से उपयोग कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में इस क्रांतिकारी तकनीक और इसके महत्व पर विस्तृत जानकारी दी गई है।   

आर्सेनिक सेंसर: एक क्रांतिकारी नवाचार

आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सेंसर विकसित किया है जो पानी में आर्सेनिक की मात्रा को बिना किसी विशेषज्ञ तकनीशियन की मदद के पहचान सकता है। यह सेंसर एक सर्किट बोर्ड और 'आर्डुइनो' मॉड्यूल से जुड़ा है, जिससे यह रियल टाइम में आंकड़े साझा कर सकता है। इस सेंसर की सबसे खास बात यह है कि यह बिना किसी जटिल लैब उपकरणों या विशेषज्ञ तकनीशियन की मदद के मौके पर ही सटीक और बार-बार दोहराए जा सकने वाले परिणाम देता है। यह तकनीक इंसानों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रहे आर्सेनिक से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।   

सेंसर की उपयोगिता और सुगमता

प्रमुख शोधकर्ता डॉ. महेश कुमार के अनुसार इस सेंसर का डिजाइन उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसे आसानी से चला सकें। अब तक आर्सेनिक की जांच के लिए स्पेक्ट्रोस्कोपिक और इलेक्ट्रोकेमिकल तकनीकों का उपयोग होता रहा है, लेकिन ये तकनीकें बहुत महंगी और तकनीकी रूप से जटिल हैं। इसलिए, गरीब और दूरदराज के इलाकों के लिए यह तकनीक व्यावहारिक नहीं है। आईआईटी जोधपुर का यह नया सेंसर इन सभी समस्याओं का समाधान प्रदान करता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।

 

आर्सेनिक का खतरा और वैश्विक प्रभाव

आर्सेनिक एक अत्यंत विषैला रसायन है, जो बहुत कम मात्रा में भी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। इसमें त्वचा का कैंसर, तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं और हृदय रोग प्रमुख हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा 10 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन) से अधिक होने पर भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति गंभीर रूप ले सकती है। जियोसाइंस फ्रंटियर्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में 250 करोड़ लोग पीने के पानी के लिए भूजल पर निर्भर हैं। इनमें से 108 देशों के भूजल स्रोतों में आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित स्तर से अधिक है। भारत के 20 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों में यह समस्या गंभीर बन चुकी है। अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 23 करोड़ लोग, जिनमें से 18 करोड़ एशिया में हैं, आर्सेनिक प्रदूषित पानी के कारण गंभीर जोखिम में हैं।

भारत में आर्सेनिक का गंभीर संकट

भारत में आर्सेनिक की समस्या एक गंभीर संकट का रूप ले चुकी है। देश के 20 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों में भूजल में आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई है। खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में, जहां पेयजल की जांच के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, यह समस्या और भी गंभीर है। आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह सेंसर इन क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

तकनीक का भविष्य और संभावनाएं

आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह सेंसर न केवल आर्सेनिक की पहचान के लिए एक क्रांतिकारी तकनीक है, बल्कि यह ग्रामीण भारत में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस तकनीक का उपयोग जल गुणवत्ता निगरानी में भी किया जा सकता है, जिससे लोगों को सुरक्षित पानी मिल सके। भविष्य में, इस तकनीक को और भी उन्नत करके अन्य जल प्रदूषकों की पहचान के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।

बहरहाल, आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित आर्सेनिक सेंसर एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जो देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह तकनीक न केवल सुलभ और उपयोग में आसान है, बल्कि सटीक और रियल टाइम में परिणाम भी देती है। आर्सेनिक के गंभीर खतरे को देखते हुए, यह तकनीक लाखों लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है। इस नवाचार से भारत में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, और यह तकनीक भविष्य में जल गुणवत्ता निगरानी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


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