ऑपरेशन सिन्दूर: टॉम कूपर का अंतिम विश्लेषण- भारत की अभेद्य शक्ति का प्रदर्शन और निर्णायक जीत 


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-14 08:55:10



 

22 अप्रैल, 2025 की वह काली तारीख, जब जम्मू-कश्मीर के शांत पहलगाम में आतंकवादियों ने खून की होली खेली। 26 बेगुनाह पर्यटकों की जान लेने वाले इस कायराना हमले ने भारत की नस-नस में प्रतिशोध की ज्वाला भड़का दी। फिर शुरू हुआ 'ऑपरेशन सिंदूर', एक ऐसा अभियान जिसने न केवल आतंकियों को उनकी करनी का फल चखाया, बल्कि पाकिस्तान को भी उसकी हिमाकत का करारा जवाब दिया। यह रिपोर्ट उस घटनाक्रम का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें भारत ने अपनी शक्ति और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।

ऑपरेशन सिंदूर का आरंभ: आतंकियों पर पहला प्रहार

7 मई, 2025 की अल-सुबह, भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित आतंकी शिविरों पर अचूक हमले किए। खुफिया जानकारी के आधार पर किए गए इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। इस कार्रवाई में भारतीय सेना ने स्काई स्ट्राइकर कामिकेज ड्रोन का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया, जिसकी सटीकता ने दुश्मन को संभलने का मौका तक नहीं दिया। यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति का स्पष्ट प्रदर्शन था।

पाकिस्तान की बौखलाहट और भारत की अभेद्य रक्षा प्रणाली

अपने आतंकियों के सफाए से बौखलाए पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की नाकाम कोशिश की। उसने यीहा-III और सोंगर जैसे अटैक ड्रोन तथा फतेह-1 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर से हमले किए। हालांकि, पाकिस्तान की यह चाल उल्टी पड़ गई, क्योंकि भारत की एकीकृत हवाई रक्षा प्रणाली पहले से ही पूरी तरह से चौकन्नी थी। रूस से प्राप्त अत्याधुनिक एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम (380 किमी रेंज), भारत-इज़राइल की संयुक्त रूप से विकसित बराक-8एस (70 किमी रेंज) और स्वदेशी आकाश मिसाइल (25 किमी रेंज) की त्रि-स्तरीय सुरक्षा कवच ने पाकिस्तानी ड्रोन्स और मिसाइलों को हवा में ही ढेर कर दिया। स्पाइडर मिसाइल (15 किमी रेंज) और बोफोर्स एल70 एंटी-एयरक्राफ्ट गनों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

8 मई: भारत का मुंहतोड़ जवाब, दुश्मन के गढ़ में घुसकर मारा 

8 मई, 2025 को, पाकिस्तान की नापाक हरकतों का भारत ने और भी करारा जवाब दिया। भारत ने इज़राइल से प्राप्त 160 हैरोप अटैक ड्रोन लॉन्च किए। पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय रावलपिंडी और कोर मुख्यालयों को इन ड्रोन्स ने निशाना बनाया, जिससे दुश्मन को भारी क्षति हुई। चीन निर्मित एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम संचालित करने वाली पाकिस्तानी बटालियनें भी इन हमलों से नहीं बच सकीं। लाहौर और कराची में तैनात इन मिसाइल प्रणालियों को भारी नुकसान हुआ। इन हैरोप ड्रोन्स का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान को अपने एफ-16 लड़ाकू विमान तक उतारने पड़े, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

9 मई: दुष्प्रचार का दिन

9 मई को, चीन और पाकिस्तान ने मिलकर हवाई हमलों को लेकर झूठा प्रचार शुरू कर दिया। वे लगातार ऐसे दावे कर रहे थे जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं था। वहीं, भारत ने इस दिन पाकिस्तान वायुसेना के साब 2000 विमान को मार गिराने का दावा किया, हालांकि इसके कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आए। यह दिन दुश्मन के मनोवैज्ञानिक युद्ध का चरम था, जिसे भारत ने अपनी संयमित प्रतिक्रिया से विफल कर दिया।

10 मई: निर्णायक प्रहार और पाकिस्तान की हवाई शक्ति का खात्मा

10 मई, 2025 को वह निर्णायक दिन साबित हुआ, जिसने संघर्ष की दिशा स्पष्ट कर दी। इस्लामाबाद तक संकट गहरा चुका था। न तो पाकिस्तानी ड्रोन, न ही फतेह-1 सिस्टम और न ही उसकी वायुसेना भारत के अभेद्य हवाई रक्षा तंत्र को भेद पाने में सफल रही। FlightRadar24.com वेबसाइट पर ट्रैक हुई एक पाकिस्तानी उड़ान जो तुर्किये की ओर जा रही थी, यह संकेत दे रही थी कि पाकिस्तान के पास अब युद्ध सामग्री लगभग समाप्त हो चुकी थी। इसी दिन, भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस और SCALP-EG जैसी घातक मिसाइलों से पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण एयरबेस को तबाह कर दिया। सुखोई 30एमकेआई, मिराज 2000 और राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों ने इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय वायुसेना के जैगुआर फाइटर-बॉम्बर विमानों ने इजरायली रैंपेज मिसाइलों से सुक्कुर एयरबेस को निशाना बनाया, जबकि सरगोधा एयरबेस पर हुए हमले के दौरान किराना हिल्स स्थित परमाणु भंडारण केंद्र के प्रवेश द्वार पर बड़े विस्फोटों की खबरें भी आईं, जिसने पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ा दीं।

टॉम कूपर का अंतिम विश्लेषण: भारत की निर्विवाद विजय

ऑस्ट्रिया के प्रसिद्ध विमानन विश्लेषक टॉम कूपर ने इस पूरे संघर्ष का गहन विश्लेषण करने के बाद भारत को स्पष्ट विजेता घोषित किया है। उनके विश्लेषण के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

पाकिस्तान की भारत को रोकने की हर कोशिश नाकाम रही। वर्तमान में उसके पास ऐसी कोई क्षमता नहीं है। इसके विपरीत, भारत लगातार अपनी हवाई रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर रहा है।

पाकिस्तान के पास भारत का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त युद्ध सामग्री नहीं थी। लंबी दूरी के सटीक हथियारों की भारी कमी उसे पूरे संघर्ष में कमजोर साबित करती रही। उनके पास 300-400 किमी की रेंज में सटीक निशाना लगाने वाली मिसाइलों का भी अभाव दिखा।

भारत की ब्रह्मोस और SCALP-EG मिसाइलों की तुलना में पाकिस्तान की मारक क्षमता कहीं नहीं ठहरती। यह तकनीकी श्रेष्ठता भारत को इस संघर्ष में निर्णायक बढ़त दिलाती है।

भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तानी वायुसेना के हवाई रक्षा तंत्र और तोपखाने को नष्ट कर देने के बाद भारत के लिए राह और आसान हो गई। इससे पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो गई।

तारीख-वार सारांश:

22 अप्रैल, 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला, 26 पर्यटकों की मौत।

7 मई, 2025: भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' का आरंभ, पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमले, 100 से अधिक आतंकी मारे गए। पाकिस्तान द्वारा जवाबी ड्रोन और रॉकेट हमले, भारत की हवाई रक्षा प्रणाली द्वारा विफल।

8 मई, 2025: भारत द्वारा 160 हैरोप अटैक ड्रोन से पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालयों और महत्वपूर्ण ठिकानों पर जवाबी हमले। पाकिस्तान को भारी नुकसान।

9 मई, 2025: चीन-पाकिस्तान द्वारा दुष्प्रचार, भारत द्वारा पाकिस्तानी साब 2000 विमान गिराने का दावा।

10 मई, 2025: भारतीय वायुसेना द्वारा ब्रह्मोस और SCALP-EG मिसाइलों से पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह। सरगोधा एयरबेस पर हमले के दौरान किराना हिल्स के पास विस्फोट की खबरें। टॉम कूपर द्वारा भारत को निर्णायक विजेता घोषित।

अंतिम निष्कर्ष:

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस दृढ़ता और शक्ति का प्रदर्शन किया, वह सराहनीय है। 'ऑपरेशन सिंदूर' न केवल आतंकवादियों के खिलाफ एक सफल कार्रवाई थी, बल्कि इसने पाकिस्तान को भी यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। टॉम कूपर जैसे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का विश्लेषण भी भारत की सैन्य क्षमता और रणनीतिक श्रेष्ठता की पुष्टि करता है। यह घटनाक्रम भविष्य में पाकिस्तान को भारत के खिलाफ किसी भी दुस्साहस करने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर करेगा। भारत ने इस संघर्ष में न केवल जीत हासिल की है, बल्कि अपनी अभेद्य रक्षा प्रणाली और निर्णायक सैन्य क्षमता का लोहा भी मनवाया है।


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