15 लाख बार छेड़ी गई डिजिटल जंग: भारत के साइबर स्पेस में घुसपैठ की साज़िश
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-14 08:46:50

पहलगाम में हुए आतंकी हमले की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि भारत के डिजिटल आसमान पर एक नया खतरा मंडराने लगा। महाराष्ट्र साइबर विभाग ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसने देश के हुक्मरानों और आम नागरिकों की रातों की नींद उड़ा दी है। हमारी महत्वपूर्ण सरकारी और मूलभूत ढांचागत वेबसाइटों पर एक या दो नहीं, बल्कि पूरे 15 लाख से ज़्यादा साइबर हमले किए गए! यह डिजिटल घेराबंदी किसी सरहदी दुश्मन की गोलीबारी से कम खतरनाक नहीं है, क्योंकि इसका लक्ष्य हमारी व्यवस्था की जड़ों को हिला देना है।
साइबर हमलों की सुनामी: आंकड़ों की ज़ुबानी
महाराष्ट्र साइबर विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक यशस्वी यादव ने सोमवार को इस भयावह आंकड़े का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि इन 15 लाख से अधिक साइबर हमलों में से लगभग 150 हमले सफल भी रहे। यह संख्या भले ही कुल हमलों के मुकाबले कम लगे, लेकिन एक भी सफल साइबर हमला देश की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इन हमलों की प्रकृति भी चिंताजनक है, जिनमें मालवेयर (घातक सॉफ्टवेयर) के हमले, वेबसाइटों को ठप करने के लिए डिनायल-ऑफ-सर्विस (डीडीओएस) अटैक और जीपीएस स्पूफिंग (स्थान की गलत जानकारी देना) जैसे तरीके शामिल थे। कुछ मामलों में तो हमलावरों ने भारतीय वेबसाइटों के स्वरूप को बदलकर (डेफेसमेंट) अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की भी कोशिश की।
दुश्मन कौन? सरहदों के पार से डिजिटल वार
इन साइबर हमलों के पीछे छिपे दुश्मनों की पहचान भी सामने आई है, जो भू-राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा करती है। महाराष्ट्र साइबर विभाग के अनुसार, ये हमले मुख्य रूप से बांग्लादेश, पाकिस्तान, मध्य पूर्व और इंडोनेशिया जैसे क्षेत्रों से शुरू हुए। यह खुलासा भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बावजूद भारतीय सरकारी वेबसाइटों पर पड़ोसी देशों और पश्चिम एशियाई क्षेत्रों से लगातार साइबर हमलों की चेतावनी देता है। यह डिजिटल शत्रुता सीमा पर शांति समझौते के बावजूद जारी है, जो साइबर सुरक्षा को एक सतत और गंभीर चुनौती बनाती है।
झूठे दावों का जाल और अफवाहों का शोर
साइबर हमलावरों का मकसद सिर्फ सिस्टम में सेंध लगाना ही नहीं था, बल्कि भ्रम और डर का माहौल पैदा करना भी था। उन्होंने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से डेटा चोरी करने या विमानन और नगर निकाय की प्रणाली को हैक करने जैसे झूठे दावे किए। हालांकि, महाराष्ट्र साइबर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। इसके अलावा, हैकर्स ने भारत के ऊर्जा तंत्र, ब्रह्मोस मिसाइल के ठिकानों और उपग्रह प्रणाली को हैक करने जैसे सनसनीखेज और निराधार दावे भी किए। इन अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए महाराष्ट्र साइबर विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 5000 से ज्यादा फर्जी खबरों को सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म से हटाया। विभाग ने नागरिकों से भी अपील की है कि वे अफवाहों पर भरोसा न करें और केवल आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें।
रोड ऑफ सिंदूर दुश्मन के मंसूबों का पर्दाफाश
राज्य की नोडल साइबर एजेंसी की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट, जिसका शीर्षक 'रोड ऑफ सिंदूर' है, पाकिस्तान-समर्थित हैकिंग समूहों द्वारा चलाए गए विस्तृत साइबर अभियान का विवरण प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ शुरू किए गए सैन्य अभियान के तहत तैयार की गई है, जो साइबर और पारंपरिक सुरक्षा के बीच बढ़ते अंतरसंबंध को दर्शाता है। इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट को सभी प्रमुख कानून प्रवर्तन एजेंसियों, जिसमें राज्य के पुलिस महानिदेशक और खुफिया विभाग शामिल हैं, को सौंपा गया है, ताकि वे इस खतरे की गंभीरता को समझ सकें और प्रभावी जवाबी कार्रवाई कर सकें।
सात शातिर खिलाड़ी: पर्दे के पीछे के हैकर समूह
'रोड ऑफ सिंदूर' रिपोर्ट में सात कुख्यात हैकर समूहों का नाम उजागर किया गया है, जो इन साइबर हमलों में सक्रिय रूप से शामिल थे। इनमें APT 36, पाकिस्तान साइबर फोर्स, टीम इंसेन पीके और मिस्टीरियस बांग्लादेश जैसे खतरनाक समूह शामिल हैं। इन समूहों की कार्यप्रणाली उन्नत और लगातार विकसित हो रही है, जिससे उन्हें ट्रैक करना और बेअसर करना और भी मुश्किल हो जाता है। कुछ हमलों में कुलगांव-बदलापुर नगर परिषद और जालंधर डिफेंस नर्सिंग कॉलेज की वेबसाइटों के स्वरूप को बिगाड़ दिया गया था, जो उनकी विघटनकारी मानसिकता को दर्शाता है। मुंबई हवाई अड्डे और टेलीकॉम कंपनियों का डेटा चोरी होने के दावों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है।
सतर्कता ही सुरक्षा, अफवाहों से दूरी
महाराष्ट्र साइबर विभाग द्वारा जारी यह रिपोर्ट देश की साइबर सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरहदों पर शांति होने के बावजूद, डिजिटल मोर्चे पर युद्ध जारी है। 15 लाख से अधिक साइबर हमलों का प्रयास और उनमें से कुछ का सफल होना हमारी डिजिटल सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को उजागर करता है। हालांकि, यह राहत की बात है कि अधिकांश हमलों को विफल कर दिया गया, जो हमारे साइबर सुरक्षा बलों की तत्परता और क्षमता को दर्शाता है। इस चुनौतीपूर्ण समय में नागरिकों की जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण है। अफवाहों पर विश्वास न करना और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ध्यान देना साइबर सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को भी अपनी साइबर सुरक्षा रणनीतियों को और मजबूत करने, नवीनतम तकनीकों को अपनाने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि इस अदृश्य दुश्मन से प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके और भारत के डिजिटल भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।