सुरक्षा कवच और मजबूत: PSLV-C61 से RISAT-1B का प्रक्षेपण, राष्ट्र की सीमाओं की होगी अचूक निगरानी


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-13 19:52:33



 

जैसे एक कुशल योद्धा अपनी तलवार को और धार देता है, वैसे ही भारत अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 18 मई, 2025 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से RISAT-1B नामक एक अत्याधुनिक रडार इमेजिंग उपग्रह लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। PSLV-C61 रॉकेट पर सवार होकर अंतरिक्ष में जाने वाला यह उपग्रह, जिसे EOS-09 के नाम से भी जाना जाएगा, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत की सीमा निगरानी क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देगा। यह प्रक्षेपण ऐसे समय में हो रहा है, जब हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' संपन्न हुआ है, जिससे इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है।

अत्याधुनिक तकनीक से लैस:

RISAT-1B उपग्रह एक अत्याधुनिक सी-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) से लैस है। यह शक्तिशाली रडार प्रणाली दिन हो या रात, कैसा भी मौसम हो—बारिश, कोहरा या बादल—पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है।

हर मौसम में अचूक निगरानी:

जहां सामान्य ऑप्टिकल कैमरे रात के अंधेरे या खराब मौसम में तस्वीरें लेने में असमर्थ होते हैं, वहीं SAR प्रणाली इन सभी बाधाओं को आसानी से पार कर लेती है। यह सैन्य और नागरिक दोनों तरह के अनुप्रयोगों के लिए चौबीसों घंटे इमेजरी प्रदान करना जारी रखती है। इसका उपयोग कृषि, वानिकी, मिट्टी की नमी की निगरानी, भूविज्ञान और बाढ़ पर नज़र रखने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जा सकेगा। इस उपग्रह में पांच अलग-अलग इमेजिंग मोड हैं, जो अल्ट्रा-हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग से लेकर बड़े क्षेत्रों के अवलोकन के लिए व्यापक स्कैनिंग तक क्षमता रखते हैं। अल्ट्रा-हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग छोटे से छोटे ऑब्जेक्ट का भी पता लगाने में सक्षम है।

सीमा सुरक्षा को मिलेगा नया आयाम:

ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही दिनों बाद RISAT-1B का प्रक्षेपण अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रक्षा बलों को पाकिस्तान और चीन के साथ लगी भारत की संवेदनशील सीमाओं की निगरानी में एक महत्वपूर्ण बढ़त देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपग्रह भारत के विशाल तटों की बेहतर निगरानी करने और दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक करने, घुसपैठ का पता लगाने और आतंकवाद विरोधी अभियानों का समर्थन करने में भी सहायक होगा।

बारीक से बारीक बदलावों पर भी नजर:

इस उपग्रह से प्राप्त उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली रडार इमेजरी मामूली से मामूली बदलावों का भी पता लगा सकती है, जैसे कि सैन्य उपकरणों की आवाजाही के कारण मिट्टी में आई नई हलचल, नए ठिकाने या वाहनों की गतिविधि, जिसे पारंपरिक निगरानी में पकड़ना मुश्किल हो सकता है। सीमा पार से घुसपैठ के प्रयासों के दौरान यह जमीन पर संदिग्ध गतिविधियों का अधिक सटीकता से पता लगाकर आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

RISAT श्रृंखला का उन्नत संस्करण:

RISAT-1B उपग्रह मौजूदा RISAT श्रृंखला के उपग्रहों का एक उन्नत संस्करण है, जिसका उपयोग पहले बालाकोट स्ट्राइक जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में किया जा चुका है। RISAT-1 के समान कॉन्फ़िगरेशन वाला यह नया उपग्रह एक और प्रगति है, जो रिसोर्ससैट, कार्टोसैट और RISAT-2B श्रृंखला जैसे अन्य उपग्रहों से प्राप्त डेटा का भी पूरक होगा, जिससे एक व्यापक पृथ्वी अवलोकन नेटवर्क तैयार होगा।

इसरो का यह नवीनतम प्रयास न केवल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा और समृद्धि के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। RISAT-1B का सफल प्रक्षेपण निश्चित रूप से भारत को अंतरिक्ष आधारित निगरानी के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।


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