बारूद के ढेर पर जिंदगी: राजौरी में सेना का साहसिक अभियान, खतरे को किया जा रहा है बेअसर


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-13 18:53:06



 

जम्मू और कश्मीर के राजौरी जिले के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई अंधाधुंध गोलाबारी के बाद, एक गंभीर खतरा मंडरा रहा था - बिना फटे हुए तोप के गोले। ये घातक अवशेष न केवल स्थानीय आबादी के लिए एक बड़ा खतरा थे, बल्कि सामान्य जनजीवन को भी अस्त-व्यस्त कर सकते थे। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक संयुक्त और व्यापक सफाई अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों से इन बिना फटे हुए खतरनाक आर्टिलरी शेल्स को सुरक्षित रूप से हटाना और निष्क्रिय करना है, ताकि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बहाल की जा सके। आइए, इस महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण अभियान के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तानी गोलाबारी का कहर

हाल के दिनों में, राजौरी जिले के सीमावर्ती इलाके पाकिस्तानी सेना की ओर से लगातार की जा रही गोलाबारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस अकारण गोलाबारी के कारण कई नागरिक घायल हुए हैं और संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा, गोलाबारी के दौरान दागे गए कई आर्टिलरी शेल्स बिना फटे ही इलाके में बिखरे पड़े हैं, जो एक गंभीर सुरक्षा चुनौती पेश कर रहे हैं।

भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस का संयुक्त अभियान

इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर एक बड़े पैमाने पर सफाई अभियान शुरू किया है। इस संयुक्त अभियान का मुख्य लक्ष्य सीमावर्ती क्षेत्रों से सभी बिना फटे हुए आर्टिलरी शेल्स को ढूंढकर उन्हें सुरक्षित रूप से निष्क्रिय करना है। यह अभियान स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

बम निरोधक दस्तों की महत्वपूर्ण भूमिका

इस सफाई अभियान में भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते (Bomb Disposal Squads) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये प्रशिक्षित और विशेषज्ञ दस्ते आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करके बिना फटे हुए शेल्स का पता लगाते हैं और उन्हें सावधानीपूर्वक निष्क्रिय करते हैं। इन दस्तों के जवान अपनी जान जोखिम में डालकर स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।

सुरक्षा और सावधानी पर विशेष ध्यान

यह सफाई अभियान अत्यधिक जोखिम भरा है, क्योंकि बिना फटे हुए आर्टिलरी शेल्स कभी भी फट सकते हैं। इसलिए, सेना और पुलिस के जवान इस अभियान के दौरान अत्यंत सावधानी बरत रहे हैं। इलाके की घेराबंदी की गई है और स्थानीय लोगों को सुरक्षित दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई है। अभियान के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जा रहा है ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।

स्थानीय लोगों में राहत की उम्मीद

भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के इस संयुक्त अभियान से सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय लोगों में राहत की उम्मीद जगी है। पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण वे लगातार डर और असुरक्षा के माहौल में जी रहे थे। अब, सेना के इस प्रयास से उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनके इलाके से सभी खतरनाक अवशेष हटा दिए जाएंगे और वे शांति और सुरक्षा के साथ अपना जीवन जी सकेंगे।

यह संयुक्त अभियान भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के समन्वय और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के मन में सुरक्षा की भावना भी पैदा करेगा। सेना का यह साहसिक कदम निश्चित रूप से सराहनीय है।


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