टैरिफ युद्ध थमा! 90 दिनों के लिए अमेरिका और चीन ने घटाईं आयात शुल्क दरें


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-13 18:50:19



 

सोमवार को यहां अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि यहां हुई व्यापार वार्ता में चीन के साथ द्विपक्षीय रूप से टैरिफ कम करने पर सहमति बन गई है, जो 14 मई से 90 दिनों की अवधि के लिए प्रभावी होगी। यह खबर वैश्विक व्यापार जगत के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है, जो पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से जूझ रहा था।

अमेरिका का बड़ा कदम: चीनी वस्तुओं पर शुल्क में भारी कमी 

समझौते के तहत, संयुक्त राज्य अमेरिका चीनी वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ को 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर देगा। 1 यह कटौती पूरे 115 प्रतिशत की भारी कमी है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को सुगम बनाना और अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले बोझ को कम करना है। यह कदम अमेरिकी प्रशासन की ओर से एक बड़ा नीतिगत बदलाव दर्शाता है, जो पहले चीन के खिलाफ सख्त व्यापारिक रुख अपनाए हुए था।  

चीन का सकारात्मक प्रत्युत्तर: अमेरिकी सामान पर शुल्क में उल्लेखनीय गिरावट

वहीं, चीन ने भी इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाते हुए अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ को 125 प्रतिशत से घटाकर मात्र 10 प्रतिशत करने का फैसला किया है। चीन की ओर से यह 115 प्रतिशत की कमी अमेरिकी निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकती है, जिससे अमेरिकी सामान की चीनी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

स्कॉट बेसेंट का आशावादी बयान: 'हम डीकपलिंग नहीं चाहते' 

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने इस समझौते को एक महत्वपूर्ण प्रगति बताया। उन्होंने कहा, "हमने 90 दिनों के लिए एक ठहराव और टैरिफ स्तरों को काफी हद तक कम करने पर सहमति व्यक्त की है। दोनों पक्ष पारस्परिक टैरिफ को 115 प्रतिशत तक कम करेंगे।" इसके अतिरिक्त, श्री बेसेंट ने फेंटानिल के संबंध में हुई "मजबूत और उत्पादक चर्चा" का भी उल्लेख किया और स्पष्ट रूप से कहा कि "हम इस बात पर सहमत हैं कि कोई भी पक्ष डीकपलिंग नहीं चाहता है।" उनका यह बयान दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बनाए रखने की इच्छाशक्ति को दर्शाता है।

संयुक्त वक्तव्य: आगे की बातचीत के लिए तंत्र स्थापित 

बैठक के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, उपरोक्त कदम उठाने के बाद, दोनों देश आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर चर्चा जारी रखने के लिए एक तंत्र स्थापित करेंगे। इस तंत्र के तहत, चीन का प्रतिनिधित्व राज्य परिषद के उपाध्यक्ष ही लिफेंग करेंगे, जबकि अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट और संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर करेंगे।

बातचीत का स्वरूप: बारी-बारी से या तीसरे देश में 

संयुक्त वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया गया कि ये चर्चाएं चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका में बारी-बारी से, या दोनों पक्षों की सहमति से किसी तीसरे देश में आयोजित की जा सकती हैं। आवश्यकतानुसार, दोनों पक्ष संबंधित आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर कार्य-स्तरीय परामर्श भी कर सकते हैं। यह लचीलापन बातचीत की प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद करेगा।

जेमिसन ग्रीर का आशावाद: मतभेद उतने बड़े नहीं

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि "मतभेद उतने बड़े नहीं थे जितना शायद सोचा गया था।" उन्होंने यह भी बताया कि दोनों पक्ष फेंटानिल के मुद्दे पर रचनात्मक बातचीत कर रहे हैं। श्री ग्रीर ने इस समझौते को अमेरिकी वैश्विक वस्तु व्यापार घाटे को कम करने में सहायक बताया, जो वर्तमान में 1.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट के बाद पहली उच्च-स्तरीय बैठक 

यह डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने और उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत अमेरिकी टैरिफ में भारी वृद्धि के साथ वैश्विक व्यापार युद्ध शुरू करने के बाद अमेरिकी और चीनी अधिकारियों के बीच पहली आमने-सामने की उच्च-स्तरीय बैठक थी। इस लिहाज से यह समझौता दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

यह घटनाक्रम निश्चित रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार नीतियों पर गहरा प्रभाव डालेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह 90 दिनों का 'युद्धविराम' दीर्घकालिक शांति में बदल पाता है या नहीं।


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