कालचक्र घूमा, आस्था लौटी! तिरुवरूर के मंदिर में 60 साल बाद नए रथ का भव्य अभिनंदन


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-13 15:25:37



 

तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले के तिरुक्कन्नमंगलई में भक्ति और आस्था का एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। भगवान भक्तवत्सला पेरुमल के मंदिर में आयोजित रथोत्सव ने इतिहास रच दिया, जब 60 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद एक नए, भव्य रथ को भक्तों ने अपने कंधों पर खींचा। यह पल न केवल मंदिर और भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी, बल्कि यह सदियों पुरानी परंपराओं और अटूट आस्था का भी प्रतीक था। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच, हजारों श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था, मानो पूरा शहर भक्ति के रंग में रंग गया हो। आइए, इस दिव्य और ऐतिहासिक रथोत्सव के हर पहलू पर गहराई से नजर डालते हैं।

छह दशकों का इंतजार, नए रथ का भव्य अभिनंदन:

थिरुक्कन्नमंगलई के भक्तवत्सला पेरुमल मंदिर में रथोत्सव का आयोजन एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस बार भक्तों को 60 वर्षों के बाद एक नए रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह नया रथ, अपनी भव्यता और कलात्मकता के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था। रथ को पारंपरिक दक्षिण भारतीय शैली में लकड़ी पर उत्कृष्ट नक्काशी से सजाया गया था, जो मंदिर की प्राचीन शिल्प कला और विरासत को दर्शाता है। जब यह नव निर्मित रथ मंदिर के प्रांगण से बाहर निकला, तो भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। शंख और ढोल-नगाड़ों की ध्वनि के बीच, श्रद्धालुओं ने 'गोविंदा, गोविंदा' के जयकारों से पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम:

रथोत्सव के दौरान तिरुक्कन्नमंगलई में आस्था का एक अद्भुत संगम देखने को मिला। दूर-दूर से आए हजारों भक्तों ने भगवान भक्तवत्सला पेरुमल के दर्शन किए और नए रथ को खींचने की पवित्र प्रक्रिया में भाग लिया। पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित सभी आयु वर्ग के लोग उत्साह और श्रद्धा से भरे हुए थे। भक्तों ने रथ के रास्ते पर फूल और फल अर्पित किए और भगवान से आशीर्वाद मांगा। इस अवसर पर, पारंपरिक संगीत और नृत्य प्रस्तुत किए गए, जिससे उत्सव का माहौल और भी जीवंत हो गया। यह दृश्य भारतीय संस्कृति और धर्म में गहरी आस्था का एक अनुपम उदाहरण था।

सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम:

इतने बड़े पैमाने पर आयोजित रथोत्सव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी। स्थानीय पुलिस और अग्निशमन कर्मियों ने पूरे कार्यक्रम के दौरान मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभाई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड्स लगाए गए थे और स्वयंसेवकों ने भी व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अग्निशमन दल किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार था। पुलिस अधिकारियों ने लगातार गश्त करके यह सुनिश्चित किया कि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। सुरक्षा के इन चाक-चौबंद इंतजामों के कारण, रथोत्सव शांतिपूर्वक और सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व:

थिरुक्कन्नमंगलई के भक्तवत्सला पेरुमल मंदिर का रथोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। 60 वर्षों के बाद नए रथ का बनना और भक्तों का इसमें उत्साहपूर्वक भाग लेना, मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं को जीवंत रखता है। यह उत्सव स्थानीय कला, शिल्प और संस्कृति को भी बढ़ावा देता है। इस प्रकार के आयोजन युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने और धार्मिक मूल्यों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह रथोत्सव तमिलनाडु की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

बहरहाल, थिरुवरूर के तिरुक्कन्नमंगलई में भक्तवत्सला पेरुमल मंदिर का रथोत्सव एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण घटना थी। 60 वर्षों के बाद नए रथ को भक्तों द्वारा खींचा जाना, अटूट आस्था और परंपराओं के प्रति समर्पण का प्रतीक है। पुलिस और अग्निशमन कर्मियों द्वारा सुनिश्चित की गई सुरक्षा व्यवस्था ने इस भव्य आयोजन को शांतिपूर्वक संपन्न कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह रथोत्सव न केवल मंदिर और भक्तों के लिए एक यादगार पल बन गया, बल्कि यह तमिलनाडु की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का भी एक शानदार प्रदर्शन था।


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