उम्मीदों का पुनर्जन्म! भारत-पाक युद्धविराम से श्रीनगर हवाई अड्डे पर हज उड़ानों की वापसी की आस


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-12 20:16:43



 

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए युद्धविराम ने जम्मू और कश्मीर के हज यात्रियों के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाई है। सीमा पर सशस्त्र संघर्षों के कारण निलंबित कर दी गई हज उड़ानों के जल्द ही फिर से शुरू होने की संभावना है। 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी शिविरों के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था। इस तनावपूर्ण माहौल में श्रीनगर सहित कई हवाई अड्डों को बंद कर दिया गया था, जिससे हज 2025 की उड़ानें रद्द हो गई थीं और हजारों हज यात्री अनिश्चितता के बादल में घिर गए थे।

युद्धविराम से जगी उम्मीदें 

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा ने हज यात्रियों के बीच एक नई उम्मीद का संचार किया है। जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि हवाई अड्डों को अब फिर से खोला जा सकेगा। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, "अब जब युद्धविराम हो गया है, तो मुझे उम्मीद है कि हवाई अड्डों को जल्दी से खोला जा सकेगा और नागरिक उड़ानें फिर से शुरू हो सकेंगी। हमारे पास हज यात्रियों का बैकलॉग है जिन्हें अब तक मदीना में होना चाहिए था। मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार हवाई क्षेत्र को फिर से खोलने और हमें श्रीनगर से हज उड़ानें फिर से शुरू करने में सक्षम बनाने के लिए तेजी से कार्रवाई करेगी।" उन्होंने @MoCA_GoI और @DGCAIndia को भी टैग किया।

हज उड़ानों का निलंबन और यात्रियों की चिंता 

अधिकारियों के अनुसार, 4 मई को श्रीनगर से मदीना के लिए केवल एक उड़ान रवाना हुई थी, जिसमें 178 तीर्थयात्री सवार थे। इसके बाद, 14 मई तक निर्धारित सभी उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे तीर्थयात्री अनिश्चितता और चिंता की स्थिति में आ गए थे। सीमा पर गोलाबारी और हवाई हमलों के कारण, भारतीय सरकार ने एहतियात के तौर पर श्रीनगर सहित देश के कई हवाई अड्डों को बंद कर दिया था, जिसका सीधा असर हज यात्रा पर पड़ा था।

अमेरिकी मध्यस्थता से युद्धविराम

संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) की मध्यस्थता से युद्धविराम समझौता हुआ, जिसकी पुष्टि दोनों सरकारों ने की और नेताओं और नागरिकों ने इसका स्वागत किया। इस समझौते ने उन हजारों हज यात्रियों को राहत की सांस दी है जो अपनी पवित्र यात्रा पर जाने के लिए उत्सुक थे और हवाई अड्डे बंद होने के कारण फंसे हुए थे।

हज कमेटी की उम्मीदें और आगे की योजना

जम्मू और कश्मीर हज कमेटी के कार्यकारी अधिकारी डॉ. शुजात अहमद कुरैशी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उड़ानें फिर से शुरू होंगी। उन्होंने कहा, "पहले, हमने तीर्थयात्रियों को अन्य यात्रा स्थलों पर ले जाने का प्रस्ताव दिया था, जहाँ वे औपचारिकताएँ पूरी कर जेद्दा के लिए उड़ान भर सकते थे। हालाँकि, मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।" अब युद्धविराम के बाद, हज कमेटी को उम्मीद है कि श्रीनगर हवाई अड्डे से सीधी उड़ानें जल्द ही शुरू हो जाएंगी, जिससे यात्रियों को काफी सुविधा होगी।

यात्रियों की संख्या और वर्तमान स्थिति 

इस वर्ष, जम्मू और कश्मीर से कुल 3622 तीर्थयात्री यात्रा कर रहे हैं, जिनमें से 178 श्रीनगर से जेद्दा के लिए उड़ान भर सके, जबकि इस क्षेत्र के 480 तीर्थयात्री जिन्होंने दिल्ली को अपने प्रस्थान बिंदु के रूप में चुना था, वे भी सऊदी अरब पहुंच गए हैं। हालांकि, शेष तीर्थयात्री भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति के कारण एक विकट स्थिति में फंसे हुए थे। अब युद्धविराम के बाद, इन यात्रियों को अपनी यात्रा पूरी करने की उम्मीद जगी है।

बहरहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम ने जम्मू और कश्मीर के हज यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। श्रीनगर हवाई अड्डे के जल्द ही खुलने और हज उड़ानों के फिर से शुरू होने की उम्मीद है, जिससे हजारों तीर्थयात्रियों की पवित्र यात्रा सुगम हो सकेगी। उमर अब्दुल्ला और डॉ. शुजात अहमद कुरैशी जैसे नेताओं की आशावादी बयानों से यात्रियों का मनोबल बढ़ा है और वे जल्द ही मक्का और मदीना की यात्रा पर निकलने की उम्मीद कर रहे हैं।


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