बारूद के बिछे रास्ते! एलओसी के निवासियों की घर वापसी में खतरा, सुरक्षा बलों की मुस्तैदी
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-12 16:22:27

नियंत्रण रेखा (एलओसी) के गांवों में दो दिनों की भीषण गोलाबारी के बाद, अब वहां बिखरे हुए अनफटे गोले एक बड़ा खतरा बनकर मंडरा रहे हैं। इस गोलाबारी में कम से कम 22 लोगों की जान चली गई, जिनमें से ज्यादातर पूंछ जिले के थे, और एलओसी के किनारे कई घर और अन्य इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। उरी में भी एक महिला की मौत हुई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए, जिनका बारामूला अस्पताल में इलाज चल रहा है। युद्धविराम के बाद, एलओसी के निवासी घर लौटने के लिए बेताब हैं, और कुछ ने तो वापस जाना भी शुरू कर दिया है। लेकिन, पुलिस ने चेतावनी दी है कि गोलाबारी के कारण निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में कई अनफटे हथियार बिखरे पड़े हैं, जो लौटने वाले नागरिकों के लिए गंभीर और जानलेवा खतरा पैदा कर सकते हैं।
पुलिस की चेतावनी और सुरक्षा अपील
बारामूला जिले की पुलिस ने उरी के निवासियों के लिए जारी अपनी सलाह में कहा, "ये खतरनाक उपकरण लंबे समय तक सक्रिय रह सकते हैं और जरा सी हलचल से भी फट सकते हैं, जो अप्रशिक्षित व्यक्तियों के लिए अत्यधिक खतरा पैदा करते हैं। हम सभी विस्थापित निवासियों से आग्रह करते हैं कि जब तक जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा आधिकारिक मंजूरी नहीं दी जाती, तब तक वे अपने घरों में लौटने से परहेज करें।" पुलिस ने निवासियों से धैर्य बनाए रखने और अपने जीवन को खतरे में न डालने का आग्रह किया है।
बम निरोधक दस्ते की सक्रियता
पुलिस ने बताया कि उनका विशेष बम निरोधक दस्ता सभी अनफटे आयुधों की पहचान करने और उन्हें सुरक्षित रूप से निष्क्रिय करने के लिए व्यापक तलाशी अभियान चला रहा है। यह दस्ता दिन-रात काम कर रहा है ताकि जल्द से जल्द क्षेत्रों को सुरक्षित घोषित किया जा सके। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध वस्तु को न छुएं और तुरंत पुलिस को सूचित करें।
विस्थापितों की दुर्दशा और जनप्रतिनिधियों की चिंता
भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान की गोलाबारी के बाद उरी के हजारों निवासी अपने घर छोड़कर बारामूला शहर के एक कॉलेज में शरण लिए हुए हैं। उरी के विधायक सज्जाद शाफी ने कहा कि उरी की 150,000 की आबादी में से 50 प्रतिशत गोलाबारी से प्रभावित हुई है, क्योंकि उनके घरों और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने निवासियों से अपील की है कि वे अपनी वापसी के लिए आधिकारिक मंजूरी का इंतजार करें। उन्होंने कहा, "एलओसी के गांवों में अनफटे गोले बिखरे पड़े हैं, इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि गांवों को अनफटे गोलों से साफ करने तक दो दिन धैर्य रखें। जब हमें मंजूरी मिल जाएगी, तो हम आपको वापस आपके घरों में ले जाएंगे।"
अवैध वापसी पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
पुलिस ने कहा कि प्रतिबंधित क्षेत्रों में अनाधिकृत रूप से वापस जाना निषिद्ध है और इसके परिणामस्वरूप कानूनी कार्रवाई हो सकती है। पुलिस ने यह भी बताया कि मौसम की स्थिति और संदूषण की सीमा के आधार पर, पूरी तरह से निकासी अभियान में कुछ दिन लग सकते हैं। सुरक्षित वापसी के संबंध में आधिकारिक घोषणाएं जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न माध्यमों से की जाएंगी।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की मांग
इस बीच, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मांग की है कि सरकार एलओसी पर गोलाबारी से प्रभावित लोगों का पुनर्वास करे। महबूबा मुफ्ती ने बारामूला अस्पताल का दौरा किया, जहां गोलाबारी में घायल हुए लोगों का इलाज चल रहा था। उन्होंने कहा कि सरकार को इन परिवारों के लिए नए घर बनाने चाहिए ताकि वे फिर से सम्मानजनक जीवन जी सकें।
बहरहाल, एलओसी के गांवों में युद्धविराम के बाद भी खतरा बरकरार है। अनफटे गोले लौटने वाले निवासियों के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्थानीय प्रशासन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और उनसे आधिकारिक मंजूरी मिलने तक धैर्य बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। इस मुश्किल समय में, सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए ताकि वे जल्द से जल्द अपने घरों में सुरक्षित लौट सकें और एक सामान्य जीवन जी सकें।