युद्ध की आहट? फिरोजपुर में सेना का ब्लैकआउट अभ्यास! सीमा पार पाकिस्तान में मची खलबली


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-06 12:06:46



 

पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गहरा तनाव व्याप्त है। युद्ध की आशंकाओं और बयानों के बीच, भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसने सीमा पार पाकिस्तान में भी ध्यान आकर्षित किया है। दरअसल, पंजाब के फिरोजपुर में स्थित भारतीय सेना की छावनी में रविवार रात को आधे घंटे के लिए पूर्ण ब्लैकआउट का अभ्यास किया गया। इस पूर्ण अंधेरा अभ्यास को संभावित युद्ध की तैयारियों के रूप में देखा जा रहा है।

फिरोजपुर छावनी में पूर्ण अंधेरा अभ्यास

यह सामरिक अभ्यास रविवार रात ठीक 9 बजे शुरू हुआ और 9 बजकर 30 मिनट तक चला। इस दौरान फिरोजपुर छावनी क्षेत्र में पूर्ण अंधकार बनाए रखा गया। इस अभ्यास की सफलता सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थानीय निवासियों से सक्रिय सहयोग का आग्रह किया था, ताकि अभ्यास के दौरान उनके घरों के बाहर किसी भी प्रकार की इन्वर्टर या जनरेटर की रोशनी दिखाई न दे। लोगों ने भी प्रशासन के इस अनुरोध का पालन करते हुए पूर्ण सहयोग दिया।

अभ्यास का घोषित उद्देश्य

फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को सैन्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए एक आधिकारिक पत्र में इस ब्लैकआउट अभ्यास के मुख्य उद्देश्य को स्पष्ट रूप से बताया गया है। पत्र में कहा गया है कि इस पूर्वाभ्यास का प्राथमिक लक्ष्य वर्तमान में व्याप्त युद्ध के खतरों के बीच ब्लैकआउट प्रक्रियाओं को कुशलतापूर्वक लागू करने में भारतीय सेना की तैयारी और प्रभावशीलता का आकलन करना है। इस मॉक ड्रिल को शुरू करने से पहले, छावनी के अधिकारियों ने लाउडस्पीकर के माध्यम से घोषणाएं करते हुए आम जनता को ब्लैकआउट अभ्यास में शामिल किए गए आवश्यक उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी, जिससे किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति न रहे।

पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि

यह महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल ऐसे संवेदनशील समय में आयोजित की गई है, जब भारत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किए गए क्रूर आतंकवादी हमले पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है। इस भयावह घटना में कम से कम 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जिसने पहले से ही नाजुक चल रहे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और भी अधिक तनावपूर्ण बना दिया है।

ब्लैकआउट का महत्व और सामरिक उपयोगिता

युद्ध की परिस्थितियों में ब्लैकआउट प्रोटोकॉल एक अत्यंत प्रभावी और आवश्यक सुरक्षा उपाय होता है। इसका मुख्य उद्देश्य शत्रु देश को रिहायशी इलाकों की सटीक भौगोलिक स्थिति की जानकारी मिलने से रोकना है। आधुनिक युद्ध में ड्रोन और मिसाइलों की गति अत्यंत तीव्र होती है। यद्यपि भारत के पास रूस से प्राप्त अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली एस-400 जैसी अचूक शस्त्र प्रणाली मौजूद है, जो पाकिस्तान की किसी भी मिसाइल को भारतीय सीमा में प्रवेश करने से पहले ही नष्ट करने में सक्षम है, फिर भी ब्लैकआउट करके अपने नागरिकों को अतिरिक्त सुरक्षा का संदेश दिया जा सकता है और संभावित नुकसान को कम किया जा सकता है।

आधुनिक युद्ध में ब्लैकआउट की प्रासंगिकता

ब्लैकआउट आज भी उतना ही कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि आधुनिक स्मार्ट बम और विजुअल टारगेटिंग सिस्टम वाले ड्रोन रोशनी के स्रोतों से लक्ष्य को पहचानने में सहायता प्राप्त करते हैं। ब्लैकआउट की स्थिति में, पाकिस्तानी ड्रोन या मिसाइल अपने निर्धारित लक्ष्य से भटक सकते हैं, जिससे संभावित रूप से कई निर्दोष लोगों की जान बचाई जा सकती है। युद्ध के वातावरण में इस प्रकार के अभ्यास करके देश की जनता को हर प्रकार की आपातकालीन परिस्थिति में रहने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। इसका उद्देश्य जनता को डर और भगदड़ की स्थिति से बचाना है, ताकि वे किसी भी अप्रिय घटना के दौरान घबराएं नहीं और आवश्यक सुरक्षा निर्देशों का पालन कर सकें। आजकल, युद्ध के समय सायरन के साथ-साथ एसएमएस या मोबाइल ऐप के माध्यम से भी अलर्ट भेजे जाते हैं, जिनमें खतरे की प्रकृति, सुरक्षित स्थानों और आवश्यक समयावधि जैसी महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है। इसके अतिरिक्त, टीवी चैनलों, ऑल इंडिया रेडियो और एफएम रेडियो के माध्यम से भी नागरिकों को युद्ध संबंधी आवश्यक सूचनाएं प्रदान की जाती हैं।


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