आईएमएफ में भूचाल! भारत के कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यम की बर्खास्तगी से उठे सवाल


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-06 06:58:48



 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम, जिन्हें केवी सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है, को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने इस बर्खास्तगी को मंजूरी दी है। इस अप्रत्याशित निर्णय ने आर्थिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।

अचानक बर्खास्तगी, कार्यकाल में कटौती

सरकार द्वारा जारी आधिकारिक नोटिस के अनुसार, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम को आईएमएफ में कार्यकारी निदेशक (भारत) के पद से तत्काल प्रभाव से हटाने की मंजूरी दी है। उनका कार्यकाल नवंबर 2025 में समाप्त होने वाला था, यानी अभी लगभग छह महीने शेष थे। सरकार ने उनके कार्यकाल में कटौती का कोई कारण नहीं बताया है, जिससे इस अप्रत्याशित निर्णय को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

कौन हैं डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम?

डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने 2018 से 2022 तक भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और आईआईएम कलकत्ता से एमबीए किया। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से वित्तीय अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण आर्थिक नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विभिन्न समितियों में योगदान

डॉ. सुब्रमण्यम ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की विभिन्न विशेषज्ञ समितियों में भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। आईआईटी कानपुर की वेबसाइट के अनुसार, उनके शोध के मुख्य क्षेत्रों में बैंकिंग और मौद्रिक नीति, कॉर्पोरेट प्रशासन, बैंकिंग विनियमन, दिवालियापन, नवाचार और उद्यमिता, कानून और वित्त, और उभरते बाजार शामिल हैं।

अटकलों का बाजार गर्म

सरकार ने उनकी बर्खास्तगी का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया है, जिससे विभिन्न प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय सरकार की आर्थिक नीतियों और आईएमएफ में भारत के प्रतिनिधित्व को लेकर किसी असहमति का परिणाम हो सकता है। हालांकि, जब तक सरकार कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं करती, तब तक इस मामले में स्पष्टता नहीं आएगी।


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