काशी में युग का अंत! पूरे विश्व में योग का परचम लहराने वाले स्वामी शिवानंद ब्रह्मलीन


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-05 21:00:09



 

धर्म नगरी काशी के प्रतिष्ठित योगाचार्य और पद्मश्री से सम्मानित स्वामी शिवानंद का शनिवार को वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में निधन हो गया। वह 128 वर्ष के थे और सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। स्वामी शिवानंद देश की सबसे उम्रदराज शख्सियतों में से एक थे, जिन्हें योग के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए जाना जाता है।

सांस लेने में तकलीफ, अस्पताल में निधन

योगाचार्य स्वामी शिवानंद को कुछ दिनों से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके चलते उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली, जिससे उनके अनुयायियों और योग प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई।

प्रधानमंत्री में दी श्रृद्धांजलि 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवानंद बाबा को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने शोक संदेश में कहा, "योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था।शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं इस दुःख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।"

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योग गुरु पद्मश्री स्वामी शिवानंद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा, "'योग' के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान देने वाले काशी के प्रख्यात योग गुरु 'पद्म श्री' स्वामी शिवानंद जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! आपकी साधना एवं योगमय जीवन संपूर्ण समाज के लिए महान प्रेरणा है। आपने अपना पूरा जीवन योग के विस्तार में समर्पित कर दिया। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।"

विश्व में योग के लिए थे विख्यात

128 वर्षीय स्वामी शिवानंद बाबा पूरे विश्व में अपनी योग साधना के लिए प्रसिद्ध थे। वह काशी के घाटों पर लोगों को योग सिखाते थे और उनका जीवन योग के प्रति पूर्णतः समर्पित था। बाबा काशी के दुर्गाकुंड स्थित कबीर नगर कॉलोनी में अपने शिष्यों के साथ एक साधारण से फ्लैट में रहते थे।

शोक की लहर, अंतिम संस्कार आज

स्वामी शिवानंद के निधन की खबर फैलते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। वाराणसी में उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे। उनके शिष्यों ने जानकारी दी है कि स्वामी शिवानंद का अंतिम संस्कार रविवार सुबह वाराणसी के प्रसिद्ध हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा।

राष्ट्रपति कोविंद ने किया था सम्मानित

स्वामी शिवानंद पिछले तीन दिनों से बीएचयू अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनका इलाज चल रहा था। उल्लेखनीय है कि जनवरी 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वामी शिवानंद को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था, जो देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

सादा जीवन, उच्च विचार

स्वामी शिवानंद अपनी असाधारण जीवनशैली और लंबी आयु के कारण हमेशा चर्चा में रहते थे। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को बंगाल के श्रीहट्टी जिले में एक गरीब परिवार में हुआ था। गरीबी के कारण उनके माता-पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद उन्होंने आजीवन आधा पेट भोजन किया।

काशी से था गहरा नाता

बाबा शिवानंद ने बताया था कि वे गरीब लोगों की पीड़ा समझते थे, इसलिए फल और दूध का सेवन नहीं करते थे, क्योंकि गरीब लोग इन्हें नहीं खा पाते। 1977 में उन्होंने वृंदावन में आश्रम की दीक्षा ली और दो साल बाद 1979 में शिव की नगरी काशी में रहने लगे, जो उनकी अंतिम स्थली बनी।

नियमित योग और ध्यान

अपनी लंबी आयु का रहस्य बताते हुए स्वामी शिवानंद ने कहा था कि वे प्रतिदिन सुबह उठकर योग और व्यायाम करते थे। इसके बाद गीता और मां चंडी का पाठ करते थे और फिर ध्यान में लीन हो जाते थे। उनका मानना था कि काशी एक तपोभूमि है, जहां भगवान शिव का वास है।

राजनीतिक जागरूकता

आश्चर्य की बात यह है कि स्वामी शिवानंद ने अपने जीवन में पहली बार 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर मतदान किया था। उन्होंने कहा था कि मोदी अच्छा काम कर रहे हैं। उस समय उनकी उम्र 121 वर्ष थी।


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