तमिलनाडु भक्तिमय! मदुरै की सड़कों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, स्वर्ण रथ पर सजे भगवान
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-05 20:52:52

तमिलनाडु के मदुरै स्थित विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी अम्मन मंदिर में चिथिराई महोत्सव का पांचवां दिन श्रद्धा और उल्लास से परिपूर्ण रहा। इस विशेष अवसर पर, देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर ने भक्तों को प्रातः काल एक स्वर्ण पालकी में और सायंकाल एक स्वर्ण अश्व रथ पर दिव्य दर्शन दिए। मसी सड़कों से गुजरी इस भव्य शोभायात्रा में श्रद्धालुओं का विशाल जनसमूह उमड़ा, जो उत्सव के संगीत और जीवंत समारोहों से सराबोर था।
स्वर्ण पालकी में दिव्य दर्शन
महोत्सव के पांचवें दिन की शुरुआत देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर की स्वर्ण पालकी में शोभायात्रा के साथ हुई। सजे हुए स्वर्ण पालकी में विराजमान देवी और भगवान का मनमोहक रूप देखकर भक्तगण भावविभोर हो गए। प्रातः काल के शांत वातावरण में निकली यह शोभायात्रा मंदिर परिसर और आसपास की गलियों से गुजरी, जहां भक्तों ने पुष्प वर्षा कर और भक्तिमय गीतों से उनका अभिनंदन किया।
स्वर्ण अश्व रथ पर भव्य शोभायात्रा
दिन ढलने के साथ ही, सायंकाल में भगवान सुंदरेश्वर एक भव्य स्वर्ण अश्व रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। सोने से बने इस विशाल रथ को श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से खींचा। मसी सड़कों पर निकली इस शोभायात्रा में पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि और भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। रंगीन वस्त्रों में सजे-धजे श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था।
मसी सड़कों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
चिथिराई महोत्सव के इस महत्वपूर्ण दिन पर मदुरै की मसी सड़कों पर आस्था का एक अभूतपूर्व सैलाब उमड़ा। दूर-दूर से आए लाखों भक्तों ने इस दिव्य शोभायात्रा में भाग लिया और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। सड़कों के किनारे खड़े होकर श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक भगवान के दर्शन किए और अपनी मनोकामनाएं मांगीं। सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।
उत्सव का माहौल और सांस्कृतिक रंग
पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल छाया हुआ था। पारंपरिक संगीत, नृत्य और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिससे वातावरण और भी जीवंत हो गया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनकर खुश नजर आए। यह महोत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह तमिल संस्कृति और परंपराओं का भी एक सुंदर प्रदर्शन है।