पहलगाम का बदला! पाकिस्तान पर भारत का आर्थिक ब्रह्मास्त्र
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-05 04:55:54

पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए भारत अब उस पर आर्थिक शिकंजा कसने की रणनीति पर काम कर रहा है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान को दिए गए ऋणों की समीक्षा करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही, पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची में वापस शामिल कराने के लिए भी प्रयास तेज कर दिए गए हैं। माना जा रहा है कि एफएटीएफ की ग्रे सूची में दोबारा शामिल होने और आईएमएफ से ऋण मिलने में बाधा आने से पाकिस्तान की पहले से ही संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को एक बड़ा झटका लगेगा।
आईएमएफ से ऋण समीक्षा की मांग
एक उच्च पदस्थ भारतीय सरकारी सूत्र ने शुक्रवार को अमर उजाला को जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के समक्ष पाकिस्तान को प्रदान किए गए ऋण को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है और इस वित्तीय सहायता की विस्तृत समीक्षा करने की मांग की है। सूत्र ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान इस ऋण से प्राप्त धनराशि का उपयोग आतंकी हमलों को प्रायोजित करने और अन्य नापाक गतिविधियों को बढ़ावा देने में कर रहा है। आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड विस्तारित वित्तपोषण सुविधा की पहली समीक्षा के लिए आगामी 9 मई को पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक करने वाला है। इस बैठक में आईएमएफ बोर्ड पाकिस्तान के लिए अपने जलवायु लचीलापन ऋण कार्यक्रम के तहत प्रस्तावित 1.3 अरब डॉलर की नई वित्तीय व्यवस्था का मूल्यांकन करेगा। इसके अतिरिक्त, बोर्ड पहले से जारी 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज का भी आकलन करेगा।
विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक पर दबाव
भारत अब एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक जैसे प्रमुख वित्तीय संस्थानों से भी पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता और ऋण पर पुनर्विचार करने का आग्रह करेगा। पिछले वर्ष एशियाई विकास बैंक ने पाकिस्तान को सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न ऋणों, अनुदानों और तकनीकी सहायता के रूप में 43.4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई थी। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष जनवरी माह में विश्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अपनी आर्थिक चुनौतियों से उबरने में मदद करने के उद्देश्य से 20 अरब डॉलर के एक बड़े ऋण पैकेज को मंजूरी दी थी। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों से प्राप्त होने वाली इस आर्थिक सहायता और ऋण का दुरुपयोग भारत के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने में करता है।
एफएटीएफ की ग्रे सूची में शामिल कराने की कवायद तेज
भारत ने पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची में वापस धकेलने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। एफएटीएफ एक वैश्विक संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पर कड़ी नजर रखती है। इस महत्वपूर्ण संस्था की अगली बैठक अगले महीने जून में होने वाली है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय प्लेनरी वर्ष में तीन बार - फरवरी, जून और अक्टूबर में - बैठक आयोजित करता है। इन बैठकों में सदस्य देश एक-दूसरे के कामकाज की गहन समीक्षा करते हैं। इन्हीं समीक्षा रिपोर्टों के आधार पर किसी भी देश को ग्रे या ब्लैक सूची में शामिल किया जाता है। ग्रे सूची में उन देशों को रखा जाता है जो धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) करते हैं और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने संबंधी अंतरराष्ट्रीय नियमों का प्रभावी ढंग से पालन करने में विफल रहते हैं।
ग्रे सूची में शामिल होने का संभावित प्रभाव
यदि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में दोबारा शामिल किया जाता है, तो उसके वित्तीय मामलों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। इसके साथ ही, उसे आईएमएफ, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे प्रतिष्ठित वित्तीय संगठनों से ऋण प्राप्त करने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, ग्रे सूची में शामिल होने से पाकिस्तान में विदेशी निवेश और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित होगा। गौरतलब है कि पाकिस्तान का एफएटीएफ की ग्रे सूची से पुराना नाता रहा है। उसे पहली बार 2008 में इस सूची में शामिल किया गया था, जिसके बाद वह एक वर्ष (2009) के लिए इससे बाहर रहा। इसके तीन साल बाद, 2012 में पाकिस्तान फिर से ग्रे सूची में आ गया और 2015 तक इसमें बना रहा। इसके बाद, 2018 में पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे सूची में डाला गया और अंततः 2022 में उसे इस सूची से हटाया गया था।