जगतगुरु कृपालु महाराज की बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की सड़क दुर्घटना में मौत, दो बहनें गंभीर रूप से घायल


के कुमार आहूजा  2024-11-25 16:44:38



 

रविवार का दिन भारतीय धार्मिक समुदाय के लिए एक शोकपूर्ण समाचार लेकर आया, जब जगतगुरु कृपालु महाराज की सबसे बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की सड़क दुर्घटना में असामयिक मृत्यु हो गई। इस हादसे में उनकी दो बहनें भी घायल हो गईं, जो गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। आइए जानते हैं इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में विस्तार से।

सड़क दुर्घटना में डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत

रविवार सुबह, डॉ. विशाखा त्रिपाठी अपनी दो बहनों, श्यामा (69) और कृष्णा त्रिपाठी (67) के साथ मथुरा से नोएडा जा रही थीं। उनका यात्रा का उद्देश्य दिल्ली होते हुए सिंगापुर के लिए उड़ान भरना था। लेकिन इस दौरान यमुनाएक्सप्रेसवे पर एक तेज रफ्तार कैन्टर ने उनकी कार को टक्कर मार दी, जिससे यह भीषण दुर्घटना घटित हुई। पुलिस के अनुसार, हादसा इतना भयानक था कि डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी दोनों बहनें गंभीर रूप से घायल हो गईं।

इलाज के दौरान मौत, अस्पताल में घायलों का उपचार

हादसे के तुरंत बाद, पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंची और घायलों को नजदीकी कैलाश अस्पताल, नोएडा में भर्ती कराया। जहां डॉ. विशाखा त्रिपाठी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अस्पताल में भर्ती उनकी बहनें श्यामा और कृष्णा का इलाज जारी है, और उनकी हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है।

श्रद्धांजलि और अंतिम संस्कार

डॉ. विशाखा त्रिपाठी का शव रविवार देर शाम वृंदावन पहुंचेगा, जहां यमुनाजी के किनारे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। डॉ. विशाखा त्रिपाठी, वृंदावन के प्रेम मंदिर और प्रतापगढ़ के मंगदी मंदिर की अध्यक्ष थीं, और जगतगुरु कृपालु महाराज के निधन के बाद इन दोनों मंदिरों का कार्यभार उनके पास था। उनके निधन पर दोनों मंदिरों में शोक की लहर दौड़ गई है।

डॉ. विशाखा त्रिपाठी: एक महान धार्मिक नेतृत्व

डॉ. विशाखा त्रिपाठी की पहचान केवल उनके परिवार के साथ जुड़ी हुई नहीं थी, बल्कि वह समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में भी एक प्रमुख हस्ती थीं। वह हमेशा श्री कृष्ण भक्ति में समर्पित रहीं और उनके कार्यों ने हज़ारों लोगों को प्रेरित किया। वह एक उच्च शिक्षित और जागरूक महिला थीं, जिन्होंने कृपालु महाराज के जीवन दर्शन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में प्रेम मंदिर और मंगदी मंदिर ने समाज में शिक्षा, चिकित्सा और सेवा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए।


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