डीडवाना कोर्ट ने बारां एसपी के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट, 19 बार नोटिस के बाद भी पेश नहीं हुए
के कुमार आहूजा 2024-11-22 19:52:06
डीडवाना सिविल न्यायालय ने बारां एसपी राजकुमार चौधरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह आदेश अदालत में 19 बार नोटिस के बावजूद पेश नहीं होने के कारण दिया गया। इस निर्णय ने न्यायपालिका की कार्यवाही और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला मौलासर थाना क्षेत्र के सुदरासन गांव का है, जहां साल 2018 में मारपीट की एक घटना दर्ज हुई थी। इस मामले की जांच अधिकारी बारां एसपी राजकुमार चौधरी थे। उन्हें कोर्ट में अभियोजन साक्ष्य के लिए अपने बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया गया था। अदालत ने उन्हें 19 बार नोटिस दिया, लेकिन उन्होंने किसी भी सुनवाई में उपस्थिति नहीं दी।
अदालत का सख्त रुख
सिविल न्यायाधीश और न्यायिक मजिस्ट्रेट पंकज तिवारी ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए बारां एसपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। कोर्ट ने डीडवाना एसपी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि गिरफ्तारी वारंट को उप-निरीक्षक या सहायक उप-निरीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा क्रियान्वित किया जाए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया कि आरोपी को अदालत में पेश किया जाए।
19 बार नोटिस, फिर भी अनुपस्थिति
अदालत के अनुसार, बारां एसपी राजकुमार चौधरी को अभियोजन साक्ष्य के तहत बयान दर्ज कराने के लिए व्यक्तिगत या वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने के लिए कहा गया था। हालांकि, उनकी बार-बार अनुपस्थिति ने कोर्ट को यह कड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
न्यायालय की कार्रवाई का कानूनी आधार
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) के प्रावधानों के तहत, वारंट देश के किसी भी हिस्से में निष्पादित किया जा सकता है। धारा 79 से 81 के अंतर्गत यह अधिकार क्षेत्र स्पष्ट किया गया है। अदालत का आदेश कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने और लापरवाही रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
न्यायपालिका बनाम प्रशासन: जिम्मेदारी का सवाल
इस घटना ने पुलिस प्रशासन और न्यायपालिका के बीच संवाद और समन्वय की कमी को उजागर किया है। न्यायपालिका ने बार-बार निर्देश जारी किए, लेकिन उनकी अवहेलना प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक मानी जा रही है।
अदालत के आदेश का प्रभाव
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि डीडवाना एसपी इस आदेश का पालन कैसे करवाते हैं। यदि बारां एसपी को तीन दिनों के भीतर अदालत में पेश नहीं किया गया, तो यह आदेश प्रशासन के लिए और भी कठोर बन सकता है।
क्या होगा आगे?
बारां एसपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट ने प्रशासनिक तंत्र में अनुशासन और उत्तरदायित्व की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस घटनाक्रम से न्यायपालिका की सख्ती और प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया गया है।