महात्मा गांधी स्कूल के शिक्षक को सरप्लस घोषित करने पर रोक, अधिकरण का बड़ा फैसला


के कुमार आहूजा  2024-11-22 10:53:54



 

राजस्थान में सरकारी शिक्षकों को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सामने आया है। राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल, नागौर में नियुक्त शिक्षक को सरप्लस घोषित करने के आदेश पर रोक लगा दी है। इस फैसले ने शिक्षा विभाग और शिक्षकों के अधिकारों पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित किया है।

क्या है मामला?

महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल, जूसरी (नागौर) में नियुक्त शिक्षक इमरान को 2022 में साक्षात्कार के माध्यम से चयनित किया गया था। हाल ही में, शिक्षा विभाग ने एक सूची जारी की जिसमें उन्हें सरप्लस घोषित किया गया। इमरान ने इस फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि उनके स्थान पर किसी अन्य को नियुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि वे विभागीय प्रक्रिया के तहत चयनित हुए थे।

अधिकरण का हस्तक्षेप

शिक्षक इमरान की ओर से अपील दाखिल की गई, जिसमें उनके वकील रामप्रताप सैनी ने दलील दी कि सरप्लस घोषित करने का निर्णय नियमों के खिलाफ है। अधिकरण ने इस पर सहमति जताते हुए आदेश दिया कि इमरान को वर्तमान स्थान से हटाया नहीं जाए। साथ ही, शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

शिक्षा विभाग की प्रक्रियाओं पर सवाल

शिक्षा विभाग द्वारा सरप्लस की सूची जारी करना और शिक्षकों का स्थानांतरण विवादों का कारण बन रहा है। अधिवक्ता सैनी ने यह भी तर्क दिया कि यदि किसी अन्य शिक्षक को उनके स्थान पर नियुक्त किया गया है, तो यह प्रक्रिया सही नहीं है। ऐसे फैसले शिक्षकों के अधिकारों पर सवाल खड़े करते हैं।

फैसले का महत्व

इस फैसले से न केवल इमरान को राहत मिली है, बल्कि अन्य शिक्षकों के लिए भी एक मिसाल कायम हुई है। अधिकरण ने स्पष्ट किया कि बिना उचित प्रक्रिया के शिक्षकों को हटाया नहीं जा सकता।

सरकारी स्कूलों में सुधार की जरूरत

महात्मा गांधी स्कूलों में शिक्षा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से शुरू किए गए इस अभियान में कई बार प्रशासनिक फैसले विवादों का कारण बनते हैं। यह घटना यह दिखाती है कि विभागीय पारदर्शिता को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।

इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जवाब देने के लिए निर्देशित किया गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस फैसले का राज्य के अन्य सरप्लस शिक्षकों पर क्या प्रभाव पड़ता है।


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