वक़्फ़ विधेयक पर AIMPLB का बड़ा ऐलान: बेंगलुरु में विरोध की गूंज, मुस्लिम समाज के अधिकारों की लड़ाई तेज


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-11-22 08:25:21



 

अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर कड़े शब्दों में विरोध दर्ज कराया है। बेंगलुरु में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में AIMPLB के महासचिव मौलाना फज़्लुर्रहीम मुजद्दीदी ने इसे "असंवैधानिक और काला कानून" करार देते हुए केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की अपील की। यह विधेयक वक़्फ़ संपत्तियों और मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

विधेयक की आलोचना: "असंवैधानिक और काला कानून"

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौलाना मुजद्दीदी ने कहा कि सरकार ने वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़े समुदाय की भागीदारी को नजरअंदाज किया है। उन्होंने इसे मुस्लिम समाज पर सीधा हमला बताते हुए विधेयक को पूरी तरह खारिज करने की बात कही। AIMPLB ने दावा किया कि विधेयक में 44 संशोधन प्रस्तावित हैं, जो वक़्फ़ प्रबंधन और समुदाय के अधिकारों के लिए हानिकारक हैं। मौलाना उमरैन महफूज़ रहमानी ने इसे "लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ" बताया और शांतिपूर्ण विरोध की बात कही।

29वीं वार्षिक बैठक: वक़्फ़ की सुरक्षा पर चर्चा

AIMPLB की 29वीं वार्षिक आम बैठक 23-24 नवंबर को बेंगलुरु के दारुल उलूम सबील-उर-रशाद में आयोजित होगी। इस बैठक में वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा और मुस्लिम समाज की कल्याणकारी योजनाओं पर रणनीति तय की जाएगी। बोर्ड ने कहा कि मृत सदस्यों की जगह नए प्रतिनिधि चुने जाएंगे और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित होंगे।

ईदगाह कुद्दुस साहब में सार्वजनिक सभा

24 नवंबर को ईदगाह कुद्दुस साहब में "शरीअत और वक़्फ़ की सुरक्षा" पर एक विशाल सभा का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना है। AIMPLB के प्रमुख सदस्य और इस्लामी विद्वान इसमें शरीक होकर समुदाय को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे।

समाज और सरकार को संदेश

AIMPLB ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक मुस्लिम समाज के खिलाफ है और समुदाय को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए। बोर्ड ने मांग की कि सरकार इस विधेयक को तुरंत वापस ले और किसी भी निर्णय से पहले समुदाय के साथ विचार-विमर्श करे।

यह विरोध उस समय सामने आया है जब देशभर में वक़्फ़ संपत्तियों और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। AIMPLB का यह कदम सरकार और मुस्लिम समुदाय के बीच संवाद को एक नई दिशा दे सकता है।


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