कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: गैर-हस्तांतरणीय भूमि की बिक्री पर रोक हटाने की अनुमति


के कुमार आहूजा  2024-11-22 07:47:05



 

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जब राज्य सरकार किसी आवंटित भूमि को गिरवी रखने की अनुमति देती है, तो ऋण न चुकाने की स्थिति में बैंक को उस संपत्ति को नीलाम करने से नहीं रोका जा सकता। यह निर्णय "गैर-हस्तांतरणीय" शर्त के संदर्भ में आया, जो 25 वर्षों तक जमीन बेचने पर रोक लगाती है। यह मामला दक्षिण कन्नड़ जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड और राज्य सरकार के बीच विवाद से संबंधित है।

फैसले का आधार: कोर्ट की दृष्टि

न्यायमूर्ति एम.आई. अरुण ने 18 जुलाई 2023 को बैंक को संपत्ति की बिक्री की अनुमति देने से इंकार करने वाले एक सरकारी आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि राज्य को लगता है कि आवंटी ने आवंटन का दुरुपयोग किया है, तो वह कानून बनाकर भविष्य में उन्हें लाभ से वंचित कर सकता है। लेकिन बैंक को गिरवी की शर्तों को लागू करने से रोकने का अधिकार नहीं है।

अश्रय योजना और विवाद का संदर्भ

यह मामला अश्रय योजना के तहत मुफ्त भूमि आवंटन से जुड़ा है। पूर्निमा नाम की एक महिला ने इस योजना के तहत मिली जमीन को गिरवी रखकर बैंक से ऋण लिया था। लेकिन ऋण चुकाने में असमर्थ रहने पर बैंक ने जमीन की नीलामी का अनुरोध किया। सरकार ने 25 साल की गैर-हस्तांतरणीय शर्त का हवाला देकर इस प्रक्रिया को रोक दिया था।

न्यायालय की टिप्पणियां: स्पष्ट दिशा-निर्देश

अदालत ने कर्नाटक भूमि आवंटन नियम, 1969 के नियम 9 का हवाला देते हुए कहा कि नियमों के अनुसार भूमि को गिरवी रखने की अनुमति है। अदालत ने कहा कि:

भूमि आवंटन का उद्देश्य गरीबों को घर बनाने और रहने की जगह देना है।

25 वर्षों तक भूमि स्थानांतरित न करने की शर्त इस उद्देश्य को सुरक्षित रखने के लिए लगाई गई है।

हालांकि, बैंक से ऋण लेने के लिए गिरवी रखने की अनुमति एक अपवाद के रूप में बनाई गई है।

गैर-हस्तांतरणीय शर्त पर कोर्ट की राय

अदालत ने कहा कि जब कानून संपत्ति को गिरवी रखने की अनुमति देता है, तो बैंक को उसके भुगतान की वसूली का अधिकार मिलना चाहिए। गैर-हस्तांतरणीय शर्त गिरवी की वसूली में बाधा नहीं बन सकती।

फैसले का महत्व

यह निर्णय गरीब वर्गों के लिए बनाई गई नीतियों और वित्तीय संस्थानों के अधिकारों के बीच संतुलन को स्पष्ट करता है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि बैंक को नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक अनुमति दी जाए।

वकीलों की उपस्थिति

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट रक्षित कुमार ने पैरवी की। राज्य सरकार की ओर से एजीए हरीश ए.एस. ने अपनी दलीलें पेश कीं।


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