जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट का सख्त रुख: बंगलों पर कब्जा जमाए बैठे पूर्व मंत्री जल्द होंगे बेदखल


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-11-22 06:10:45



 

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर सरकार से सवाल किया है कि क्यों पूर्व मंत्री और राजनीतिक हस्तियां बिना किसी आधिकारिक पद पर होने के बावजूद सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए हुए हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि आखिर क्यों इन लोगों को अधिक व्यावसायिक किराए पर नहीं रखा जा रहा है।

हाई कोर्ट का कड़ा निर्देश

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश ताशी रबस्तान और न्यायमूर्ति एम.ए. चौधरी शामिल हैं, ने जम्मू-कश्मीर के एस्टेट विभाग से जवाब मांगा है कि क्यों अब तक बेदखली के आदेश नहीं दिए गए। कोर्ट ने इसे "अजीब" करार दिया है कि केवल रिक्वेस्ट भेजकर ही काम चलाया गया है, जबकि ये लोग अब इस सुविधा के हकदार नहीं हैं​।

अवैध कब्जे पर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL)

यह मुद्दा प्रोफेसर एस.के. भल्ला द्वारा दाखिल जनहित याचिका के तहत सामने आया था। याचिका में एस्टेट विभाग की तरफ से की जा रही ढिलाई और कुछ पूर्व मंत्रियों और विधायकों के अवैध कब्जे को लेकर चिंता जताई गई थी। याचिका में बताया गया कि लगभग 33 पूर्व मंत्री और राजनीतिक व्यक्तित्व सरकारी बंगलों पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं। कोर्ट को बताया गया कि चुनाव प्रक्रिया के बाद से इन लोगों को बंगलों को खाली करने का नोटिस भेजा गया है, लेकिन अधिकांश लोगों ने अभी तक आदेश का पालन नहीं किया है​।

अदालत द्वारा पूछे गए महत्वपूर्ण सवाल

अदालत ने सरकार को कुछ अहम सवालों के जवाब देने का निर्देश दिया है:

♦ क्या अवैध कब्जाधारियों की बेदखली के लिए सभी कानूनी कदम उठाए गए हैं?

♦ एस्टेट विभाग द्वारा प्रस्तुत सूची में से कितने लोगों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया और कितनों ने बंगलों को खाली कर दिया है?

♦ बिना वैधानिक अधिकार के सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए रखने वाले इन लोगों से उच्च दर पर किराया क्यों नहीं वसूला गया?

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि जम्मू-कश्मीर सरकार के एस्टेट विभाग के सचिव को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर इन सवालों के जवाब देने होंगे​।

सरकार की प्रतिक्रिया और हाई कोर्ट की नाराजगी

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में यह भी बताया कि सरकार ने अवैध कब्जाधारियों को बेदखली के आदेश देने में अनियमितता दिखाई है। सरकारी वकील एस.एस. नंदा ने तर्क दिया कि चार व्यक्तियों ने एस्टेट विभाग के आग्रह पर अपने आवास खाली कर दिए हैं और बाकी से भी ऐसा करने का अनुरोध किया गया है। कोर्ट ने सरकार की इस प्रतिक्रिया को असंतोषजनक मानते हुए आगे की कार्रवाई की सख्त आवश्यकता बताई​।

अगली सुनवाई की तारीख

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को निर्धारित की है। इस दिन तक सरकार को बेदखली के सभी आदेश और किराए के पुनरावधिक रेट्स की जानकारी कोर्ट के सामने प्रस्तुत करनी होगी। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एस.एस. अहमद, राहुल रैना, और सुप्रिया चौहान ने कोर्ट में दलीलें पेश कीं।


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