(सामान्य न्यायालय का फैसला )दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: पीएमएलए विशेष अदालत को विस्तृत कारण बताने की जरूरत नहीं


के कुमार आहूजा  2024-11-21 21:58:06



 

♦ प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत पर संज्ञान लेने के नियमों को लेकर अदालत ने दी स्पष्टता

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत विशेष अदालतों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायतों पर संज्ञान लेने के लिए विस्तृत कारण दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है। यह नियम आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत दर्ज निजी शिकायतों से अलग है। इस फैसले ने पीएमएलए के तहत चल रही प्रक्रियाओं को लेकर कई कानूनी विवादों का समाधान किया है।

फैसले का मुख्य बिंदु

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने स्पष्ट किया कि पीएमएलए की धारा 44 के तहत प्रवर्तन निदेशालय प्रारंभिक शिकायत दायर कर सकता है, भले ही जांच पूरी न हुई हो।

उन्होंने कहा कि 2019 में किए गए संशोधन (Explanation-II) ने ईडी को प्रारंभिक शिकायत के साथ-साथ आगे की जांच के लिए पूरक शिकायत दर्ज करने की अनुमति दी है। यह प्रावधान विशेष अदालत को मौजूदा सबूतों के आधार पर ट्रायल शुरू करने का अधिकार देता है, जबकि जांच जारी रहती है।

पृष्ठभूमि: संजय अग्रवाल का मामला

यह मामला संजय अग्रवाल से संबंधित है, जिन्होंने यह तर्क दिया था कि ट्रायल कोर्ट ने उनकी शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया और ईडी ने जांच पूरी किए बिना शिकायत दर्ज की। उन्होंने इसे पीएमएलए की धारा 44(1)(b) के उल्लंघन के रूप में प्रस्तुत किया।

हालांकि, ईडी ने कहा कि दिसंबर 2015 में ट्रायल कोर्ट ने शिकायत दर्ज की और केस को आगे बढ़ाया, जो यह दर्शाता है कि संज्ञान लिया गया। अदालत ने माना कि यह प्रक्रिया वैध थी और प्रारंभिक शिकायत के बाद पूरक शिकायत दर्ज करना कानून के अनुरूप है।

2019 संशोधन का प्रभाव

कोर्ट ने कहा कि धारा 44(1)(b) में जोड़ा गया Explanation-II स्पष्ट रूप से बताता है कि ईडी को पूरक शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। यह शिकायतों को और अधिक सबूत, दस्तावेज, या आरोपितों के खिलाफ नए तथ्यों को पेश करने की अनुमति देता है।

इस संशोधन ने ईडी को लंबी जांच के दौरान भी प्रभावी कार्रवाई करने का रास्ता प्रदान किया।

न्यायालय की टिप्पणी

न्यायालय ने कहा, "पीएमएलए के तहत, शिकायत पर संज्ञान लेते समय विशेष अदालत को विस्तृत कारण दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सरकारी जांच एजेंसी द्वारा दायर शिकायत है, न कि निजी शिकायत।"

यह फैसला पीएमएलए मामलों में ईडी की कार्यवाही की वैधता और कानूनी प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करता है। साथ ही, यह विशेष अदालतों को समय रहते कार्रवाई का अधिकार देता है।


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