उधार की गाड़ी, फिर भी मुआवजा! राजस्थान हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला


के कुमार आहूजा  2024-11-21 21:54:35



 

क्या उधार ली गई गाड़ी चलाते समय हादसे में जान गंवाने पर मुआवजा मिल सकता है? राजस्थान हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में इस सवाल का जवाब दिया है, जिसने कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से इसे नई दिशा दी है।

फैसले का आधार: मृतक मालिक की भूमिका में

राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि जब कोई व्यक्ति किसी गाड़ी को उधार लेता है, तो वह उस गाड़ी के मालिक की भूमिका में आ जाता है। इसलिए, अगर बीमा पॉलिसी में "पर्सनल एक्सीडेंट कवर" शामिल है और उसका प्रीमियम भरा गया है, तो दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा दिया जाना चाहिए।

इस मामले में, न्यायमूर्ति नुपुर भाटी की बेंच ने मृतक के परिजनों द्वारा ट्रिब्यूनल के निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की। ट्रिब्यूनल ने दावा खारिज करते हुए कहा था कि मृतक "तीसरे पक्ष" की श्रेणी में आता है और वह गाड़ी का मालिक नहीं था। 

राम खिलाड़ी मामला: सुप्रीम कोर्ट की मिसाल

इस फैसले में "राम खिलाड़ी बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस" के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया। इसमें कोर्ट ने कहा था कि उधार लेने वाला व्यक्ति वाहन के मालिक की तरह होता है और अगर बीमा कवर में व्यक्तिगत दुर्घटना के लिए प्रीमियम भरा गया है, तो मुआवजा मिलना चाहिए। 

निंगम्मा बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस मामला

कोर्ट ने "निंगम्मा बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस" केस का भी जिक्र किया, जिसमें यह तय किया गया था कि उधारकर्ता वाहन उधार लेते समय मालिक की जगह लेता है। वह वाहन चलाते समय वस्तुतः मालिक बन जाता है। ऐसे समय में दुर्घटना होने पर असली मालिक केवल इस आधार मुआवजे का प्राप्तकर्ता नहीं हो सकता कि भुगतान करने का दायित्व उस पर है। इसके बावजूद, कोर्ट ने यह ध्यान दिया कि पर्सनल एक्सीडेंट कवर के प्रीमियम को देखते हुए बीमा कंपनी की जिम्मेदारी बनती है। 

बीमा पॉलिसी की समीक्षा

इस मामले में हाई कोर्ट ने संबंधित बीमा पॉलिसी का विश्लेषण किया, जिसमें पर्सनल एक्सीडेंट कवर शामिल था। न्यायालय ने यह माना कि मृतक के परिजनों को ₹1 लाख का मुआवजा देना उचित होगा। इस फैसले ने न केवल मुआवजे की सीमा तय की बल्कि कानूनी पद्धति में पारदर्शिता भी बढ़ाई। 

फैसले का महत्व

यह फैसला सामाजिक सुरक्षा के सिद्धांत को मजबूती प्रदान करता है। यह स्पष्ट करता है कि बीमा पॉलिसी की शर्तें और प्रीमियम का भुगतान कैसे मुआवजे के दायरे को परिभाषित करता है, खासकर ऐसे मामलों में जहां मृतक वाहन का मालिक नहीं था।


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