ISRO के GSAT-N2 सैटेलाइट लॉन्च के साथ SpaceX के साथ ऐतिहासिक साझेदारी, भारत में इंटरनेट क्रांति की शुरुआत
के कुमार आहूजा 2024-11-21 18:09:52
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए, ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने 19 नवंबर को अपनी GSAT-N2 (GSAT-20) संचार सैटेलाइट को SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया। इस मिशन ने न केवल भारत और SpaceX के बीच मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग को दर्शाया बल्कि भारत के डिजिटल कनेक्टिविटी के उद्देश्य को एक नई दिशा भी दी। यह लॉन्च भारतीय नागरिकों के लिए तेज इंटरनेट सेवाएं और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी का वादा करता है।
SpaceX और ISRO की साझेदारी:
ISRO ने पहले कभी भी SpaceX के साथ अपने लॉन्च का अनुभव नहीं किया था, लेकिन इस बार GSAT-N2 सैटेलाइट की विशेषताएं ISRO के मौजूदा रॉकेटों के लॉन्च क्षमता से बाहर थीं। GSAT-N2 का वजन लगभग 4700 किलोग्राम था, जो ISRO के लांचर GSLV और PSLV द्वारा उठाया नहीं जा सकता था। ऐसे में SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट को चुना गया, जो भारी पेलोड को कक्षा में स्थापित करने के लिए जाना जाता है।
GSAT-N2 सैटेलाइट का महत्व:
GSAT-N2 (GSAT-20) एक अत्याधुनिक हाई-थ्रूपुट संचार सैटेलाइट है, जिसे ISRO की उपग्रह केंद्र और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम केंद्र द्वारा विकसित किया गया है। इस सैटेलाइट की डेटा ट्रांसमिशन क्षमता 48 Gbps है, जो भारतीय ब्रॉडबैंड नेटवर्क की गति को नई ऊंचाईयों तक ले जाएगी। इसके 32 उपयोगकर्ता बीम्स के माध्यम से पूरे भारत में बेहतर इंटरनेट सेवाएं प्रदान की जाएंगी, खासकर उन क्षेत्रों में जो पहले कनेक्टिविटी से वंचित थे, जैसे कि उत्तर-पूर्वी भारत और दूरदराज के द्वीप समूह।
सैटेलाइट का प्रभाव और उपयोग:
GSAT-N2 का एक महत्वपूर्ण फीचर यह है कि यह भारत के आकाश में उड़ान भरने वाले विमानों को इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगा। पहले भारत में 3000 मीटर से ऊंची ऊचाई पर उड़ने वाले विमानों के लिए इंटरनेट सेवा सीमित थी, लेकिन इस सैटेलाइट के साथ अब उड़ान के दौरान भी इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल सकेगी। यह भारत में विमानों में इंटरनेट का उपयोग संभव बना देगा।
SpaceX का योगदान:
SpaceX का फाल्कन 9 रॉकेट एक पुन: उपयोग योग्य रॉकेट है, जिसे सस्ती और प्रभावी अंतरिक्ष यात्रा के लिए डिजाइन किया गया है। इस रॉकेट ने अब तक 19 मिशन पूरे किए हैं, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय प्रक्षेपण और स्टारलिंक मिशन शामिल हैं। इस रॉकेट की सफलता ने इसे वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों और निजी कंपनियों द्वारा विश्वसनीय विकल्प बना दिया है।
आगे की दिशा और भविष्य:
यह लॉन्च ISRO और SpaceX के बीच भविष्य में और भी व्यावसायिक सहयोग की उम्मीदें बढ़ाता है। आने वाले समय में, ISRO को और अधिक बड़े सैटेलाइट्स के लिए SpaceX का समर्थन प्राप्त हो सकता है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को और मजबूत बनाएगा। इस साझेदारी से भारत के अंतरिक्ष मिशन और डिजिटल कनेक्टिविटी में क्रांति आने की संभावना है।