मुगलकालीन जोहरा बाग के चार मंजिला बुर्ज को फिर से जीवन देगा ASI


के कुमार आहूजा  2024-11-21 07:31:57



 

किसी ने सच ही कहा है, "इतिहास एक दिन हमारे सामने बिखर जाता है", और यह कहानी उसी बात को साबित करती है। भारत में ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल और संरक्षण का काम बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में उत्तर भारत के ऐतिहासिक शहर आगरा से सामने आया है, जहां मुगलों के दौर में बने जोहरा बाग के चार मंजिला बुर्ज का बड़ा हिस्सा गिर गया। इस घटना ने न केवल इतिहास प्रेमियों को झकझोर कर रखा है, बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को भी एक नई चुनौती दी है।

जोहरा बाग का ऐतिहासिक महत्व

जोहरा बाग, जो यमुना नदी के किनारे स्थित है, मुगल साम्राज्य के प्रमुख बादशाहों बाबर, अकबर, जहांगीर और शाहजहां द्वारा बनवाए गए कई ऐतिहासिक उद्यानों में से एक है। इस बाग में स्थित चार मंजिला बुर्ज को मुगलों के शाही समय के अद्भुत वास्तुकला के उदाहरणों में गिना जाता है। यह संरचना उस समय के बाग-बगिचों का हिस्सा थी जो शाही परिवार के विश्राम स्थल के रूप में उपयोग किए जाते थे।

गिरा हुआ बुर्ज और उसका कारण

पिछले माह, जोहरा बाग के इस ऐतिहासिक चार मंजिला बुर्ज का बड़ा हिस्सा गिर गया। इसमें से तीन मंजिलें पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं, जबकि नीचे की मंजिल आधी गिर गई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. राजकुमार पटेल ने जानकारी दी कि बुर्ज में प्रयुक्त चूना समय के साथ क्षय हो गया था, जिससे इसके निर्माण की संरचना कमजोर हो गई और यह गिरा।

नए सिरे से निर्माण की योजना

ASI अब इस गिर चुकी संरचना के पुनर्निर्माण पर काम कर रहा है। सबसे पहले बची हुई निचली मंजिल को हटाने की योजना बनाई गई है, और उसके बाद पूरी संरचना को फिर से बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस पुनर्निर्माण में एक-एक पत्थर की डॉक्यूमेंटेशन की जाएगी और उसे ऐतिहासिक रूप में संरक्षित किया जाएगा। यह पुनर्निर्माण मानसून की बारिश से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि इस धरोहर को भविष्य में संरक्षित किया जा सके।

भविष्य में संरक्षित धरोहर

डॉ. पटेल ने बताया कि इस प्रक्रिया में लगभग एक से डेढ़ माह का समय मलबा हटाने में लगेगा, जबकि निचली मंजिल को हटाने में एक माह का वक्त लगेगा। एएसआई की टीम इस ऐतिहासिक स्मारक को पहले की तरह संरक्षित करने का हर संभव प्रयास कर रही है ताकि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जीवित रहे।

भविष्य की उम्मीदें

इतिहास से जुड़ी इस तरह की घटनाएं न केवल हमें हमारे अतीत की याद दिलाती हैं, बल्कि यह भी सिखाती हैं कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। जोहरा बाग का पुनर्निर्माण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के लिए एक चुनौती और हमारे इतिहास को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।


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