राजस्थान हाई कोर्ट: अतिरिक्त जिला न्यायधीश की अनिवार्य सेवानिवृत्ति, न्यायिक गलती को नहीं माना सजा का कारण राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश द्वारा की गई न्यायिक गलती को सजा का कारण नहीं माना। क


के कुमार आहूजा  2024-11-20 19:08:44



राजस्थान हाई कोर्ट: अतिरिक्त जिला न्यायधीश की अनिवार्य सेवानिवृत्ति, न्यायिक गलती को नहीं माना सजा का कारण 

राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश द्वारा की गई न्यायिक गलती को सजा का कारण नहीं माना। कोर्ट ने उस अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को रद्द कर दिया, जिसे पहले एक हत्या के आरोपी के मामले में दूसरी जमानत अर्जी मंजूर करने के आरोप में यह सजा दी गई थी। इस फैसले ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि न्यायिक अधिकारियों से होने वाली गलतियां सुधारने योग्य होती हैं, न कि उन्हें सजा देने का कारण बनना चाहिए।

जमानत के फैसले पर विवाद

राजस्थान हाई कोर्ट ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को पलटते हुए उनके खिलाफ किसी प्रकार की भ्रष्टाचार या गलत इरादे की कोई जांच नहीं पाई। दरअसल, जमानत अर्जी के मामले में न्यायधीश ने दूसरी बार जमानत देने के लिए आदेश पारित किया था, जबकि पहली जमानत अर्जी को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था और एक स्थानांतरण याचिका भी लंबित थी। इसके बावजूद, कोर्ट ने न्यायधीश के खिलाफ आरोपों को निराधार बताया और सजा को रद्द कर दिया​।

जमानत अर्जी पर निर्णय और अनुशासनात्मक कार्रवाई

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही न्यायधीश ने गलत निर्णय लिया हो, लेकिन बिना किसी भ्रष्ट मंशा के लिया गया निर्णय अनुशासनिक कार्रवाई का कारण नहीं बन सकता। उच्च न्यायालय ने इस तथ्य को माना कि न्यायिक अधिकारी भी गलतियां कर सकते हैं और इसे सुधारने की प्रक्रिया में यह एक सामान्य हिस्सा हो सकता है​।

न्यायिक प्रणाली में गलतियों को सुधारने का अवसर

कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के तहत न्यायधीशों को अपने फैसलों में सुधार का अधिकार है। उन्होंने यह माना कि यदि कोई निर्णय गलत हो, तो उसे सुधारने की प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, बजाय इसके कि उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई से दंडित किया जाए। कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि किसी न्यायिक अधिकारी की गलती को बिना पर्याप्त प्रमाण के गलत इरादे के तौर पर नहीं देखा जा सकता​।

सजा का आदेश और हाई कोर्ट की भूमिका

इस मामले में राजस्थान सरकार के द्वारा दिए गए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को कोर्ट ने इस आधार पर रद्द कर दिया कि जांच रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे। कोर्ट ने यह भी बताया कि अनुशासनात्मक अधिकारियों को बिना पर्याप्त साक्ष्य के किसी कर्मचारी को दंडित नहीं करना चाहिए।

राजस्थान हाई कोर्ट का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है कि न्यायिक अधिकारियों से हुई गलतियों को सजा का कारण नहीं बनाया जा सकता, बल्कि उन्हें सुधारने का अवसर दिया जाना चाहिए। यह निर्णय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।


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