गरीबी की मार से मजबूरन नाबालिग की शादी, बंबई हाई कोर्ट ने आरोपी मंगेतर को दी जमानत
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-11-20 16:14:49
बंबई उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक ऐसे मामले में जमानत दी जिसमें एक व्यक्ति पर अपनी नाबालिग मंगेतर को गर्भवती करने का आरोप था। इस मामले ने सामाजिक और कानूनी मुद्दों को उजागर किया, जहां गरीबी और पारिवारिक मजबूरियों को आधार बनाकर अदालत ने राहत प्रदान की।
अदालत की टिप्पणी: गरीबी और मजबूर हालात की समझ
न्यायमूर्ति एस.जी. मेहरे ने इस मामले में निर्णय सुनाते हुए माना कि भारत में गरीबी आज भी सबसे बड़ा मुद्दा है। परिवार द्वारा लड़की के लिए शादी का फैसला मजबूरी के कारण लिया गया था, क्योंकि उसके माता-पिता गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। इन हालात में उन्होंने अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए शादी का फैसला किया। मां की मृत्यु और पिता के ब्रेन ट्यूमर ने इस कदम को और भी मजबूर कर दिया।
परिवार की दलील: समाज के दबाव से बचाने की कोशिश
लड़की के पिता ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने बेटी को समाज की बुरी नजरों से बचाने और उसकी भविष्य की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया। पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक दबाव ने उन्हें कम उम्र में ही शादी करने के लिए प्रेरित किया। मां के निधन के बाद यह फैसला और भी आवश्यक लगने लगा, जो कि कोर्ट में रखे गए तथ्यों में से एक था।
अभियोजन पक्ष का पक्ष और आरोप
अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी ने शादी से पहले नाबालिग लड़की के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए, जिसके कारण लड़की गर्भवती हो गई। यह मामला तब सामने आया जब लड़की को औरंगाबाद के घाटी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिससे कानूनी कार्रवाई शुरू हुई।
अदालत की सहानुभूति और फैसले के कारण
न्यायालय ने सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर इस मामले में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया। कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक मजबूरी को देखते हुए जमानत प्रदान की जा सकती है। हालांकि, जमानत की शर्तों में आरोपी को पीड़िता से शादी से पहले किसी भी तरह का शारीरिक संबंध न रखने का निर्देश दिया गया।
आरोपी की ओर से वकीलों की दलील
आरोपी के वकील वकाले विजय शिवाजी ने जमानत याचिका का समर्थन किया और बताया कि आरोपी ने कोर्ट के सभी शर्तों का पालन करने की मंशा जताई है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वह शादी के लिए पीड़िता की उम्र पूरी होने तक इंतजार करने को तैयार है।
अदालत का निर्णय: जमानत की शर्तें और भविष्य की राह
न्यायालय ने ₹50,000 की जमानत राशि पर आरोपी को जमानत दी और उसे निर्देश दिया कि वह पीड़िता के बालिग होने तक किसी प्रकार का शारीरिक संपर्क न करे। अदालत ने समाज में गरीबों और मजबूर लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों का जिक्र करते हुए जमानत देने का यह फैसला लिया।
यह मामला भारतीय न्याय व्यवस्था में सामाजिक मुद्दों की समझ को दर्शाता है, जिसमें गरीबी, सामाजिक दबाव और बाल विवाह जैसी समस्याएं शामिल हैं। इस मामले पर बारीकी से नजर रखी जा रही है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों में न्यायसंगत और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जा सके।