कानून और अपराध की खबर अब सम्माननीय न्यायालय से पत्नी को बॉडी शेमिंग करना पति पर भारी, केरल हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
के कुमार आहूजा 2024-11-20 14:46:52
केरल हाई कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा कि यदि पति या उसके परिवार के सदस्य पत्नी का बॉडी शेमिंग करते हैं, तो यह धारा 498ए के तहत मानसिक क्रूरता मानी जाएगी। इस फैसले ने घरेलू हिंसा के मामलों में नये सिरे से सोचने के संकेत दिए हैं।
पत्नी का बॉडी शेमिंग: क्रूरता का आधार
न्यायमूर्ति ए बदरुद्दीन ने स्पष्ट किया कि यदि पति या परिवार के अन्य सदस्य पत्नी का अपमान करते हैं या उसके शरीर का मजाक उड़ाते हैं, तो यह उसकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। यह आचरण धारा 498ए के तहत उस मानसिक यातना की श्रेणी में आता है जो किसी महिला को आत्महत्या या गंभीर चोट पहुंचा सकता है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह फैसला एक महिला की शिकायत से शुरू हुआ जिसमें उसने पति, ससुर और देवरानी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी उसका मजाक उड़ाते थे और उसके मेडिकल डिग्री पर भी सवाल उठाते थे, जिससे उसका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा था।
धारा 498ए के तहत रिश्तेदार की परिभाषा
आरोपी देवरानी ने कोर्ट में तर्क दिया कि चूंकि वह पति की सगी बहन नहीं है, इसलिए वह "रिश्तेदार" की परिभाषा में नहीं आती है। लेकिन हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के एक मामले का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया कि जब कोई विवाहिता अपने ससुराल में रहती है, तो पति के भाई-बहन और उनके जीवनसाथी भी धारा 498ए के तहत "रिश्तेदार" की श्रेणी में आते हैं।
शिकायत की गंभीरता पर कोर्ट का रुख
कोर्ट ने शिकायत के तथ्यों को गहराई से समझते हुए पाया कि महिला के शरीर का मजाक उड़ाने और उसे कमतर बताने के आरोप उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने के लिए पर्याप्त हैं। इन आरोपों को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए माना कि ऐसे आचरण से महिला को मानसिक यातना झेलनी पड़ी है।
मुकदमे का नतीजा
इस तर्क के आधार पर हाई कोर्ट ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी और मामले में न्यायिक प्रक्रिया जारी रखने का आदेश दिया। इस केस ने न केवल पति-पत्नी के संबंधों में आपसी सम्मान की अहमियत को दोहराया है, बल्कि महिला अधिकारों की सुरक्षा के प्रति अदालत की प्रतिबद्धता को भी साबित किया है।