गुजरात हाई कोर्ट: अपील में अतिरिक्त सबूत पेश करने का अधिकार नहीं


के कुमार आहूजा  2024-11-20 11:51:32



 

गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि अपील में अतिरिक्त साक्ष्य पेश करना कोई अधिकार नहीं है, बल्कि केवल उन परिस्थितियों में ही हो सकता है, जब ये साक्ष्य पहले गलत तरीके से अस्वीकार कर दिए गए हों या उचित परिश्रम के बावजूद उपलब्ध न हो सके हों। इस फैसले ने आपराधिक एवं दीवानी मामलों में नई दिशा प्रदान की है।

अदालत का निर्णय: साक्ष्य पेश करने के सीमित अधिकार

न्यायमूर्ति दिव्येश ए दोशी ने सीपीसी के आदेश XLI नियम 27 का हवाला देते हुए कहा कि अपील कोर्ट में कोई भी अतिरिक्त साक्ष्य तभी पेश किया जा सकता है जब वह पूर्व में सही कारणों से स्वीकार न किया गया हो, या इसके अभाव में न्याय प्रक्रिया में अन्याय हो सकता हो।

पृष्ठभूमि: संपत्ति विवाद का मामला

मामला संपत्ति के स्वामित्व से जुड़ा है, जिसमें प्रतिवादियों ने अपील कोर्ट में कुछ दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का प्रयास किया, जिन्हें आंशिक रूप से स्वीकृति दी गई। यह विवाद 2008 में शुरू हुआ था और 2021 में इसे निचली अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में दिया।

हाई कोर्ट का मंतव्य

हाई कोर्ट ने "मुकुलभाई राजेंद्र ठाकोर बनाम उपेंद्रभाई अनुपम जोशी (2018)" के मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि अपील के समय साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए यह दिखाना जरूरी है कि इसे पहले क्यों नहीं पेश किया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के दस्तावेज़ केवल तभी प्रस्तुत किए जाने चाहिए जब वे किसी बड़े कारण के लिए आवश्यक हों।

निष्कर्ष

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपील कोर्ट ने अपनी समीक्षा में किसी गलती को मान्यता नहीं दी है और मूल अदालत के फैसले में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है। इस प्रकार, हाई कोर्ट ने प्रतिवादियों की याचिका को खारिज कर दिया और अदालत के आदेश में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं पाई।


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