IIT कानपुर का बड़ा कदम: भारत में पहली बार बना आत्मघाती ड्रोन, दुश्मन पर होगा खतरनाक वार
के कुमार आहूजा 2024-11-20 08:02:25
भारत का पहला आत्मघाती ड्रोन विकसित
IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने देश की पहली "आत्मघाती ड्रोन" प्रणाली विकसित की है, जो दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है। यह ड्रोन बिना पायलट के दुश्मन के ठिकानों तक पहुंच सकता है और वहां खुद को विस्फोट कर दुश्मन को नुकसान पहुंचा सकता है। इस आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया कदम भारत की सुरक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला है।
100 किलोमीटर तक ऑपरेट करने की क्षमता
यह आत्मघाती ड्रोन 100 किलोमीटर तक दूर ऑपरेट कर सकता है और 40,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इसकी विशेषता यह है कि इसे संचालन के लिए GPS की आवश्यकता नहीं है। इससे ड्रोन को दुश्मन के राडार और अन्य सिस्टम से बचाकर आसानी से निशाना साधने में मदद मिलती है। यह अत्याधुनिक तकनीक इसे और भी शक्तिशाली बनाती है, और सुरक्षा क्षेत्र में यह भारत के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है।
IIT कानपुर की टीम का योगदान
इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व IIT कानपुर के वैज्ञानिक डॉ. सुब्रमण्यम सदार्ला और उनकी टीम ने किया है। डॉ. सदार्ला और उनकी टीम ने इस ड्रोन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और स्टेल्थ तकनीक से लैस किया है, जिससे यह दुश्मन की पकड़ से बच सकता है और सफलतापूर्वक अपने मिशन को अंजाम दे सकता है। इस तकनीक का विकास रक्षा अनुसंधान में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
आत्मघाती ड्रोन की रणनीतिक उपयोगिता
भारत की सुरक्षा क्षमताओं में इस ड्रोन का समावेश इसे दुश्मन पर हमला करने के लिए और भी प्रभावी बनाता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आत्मघाती ड्रोन का प्रयोग कर भारत दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला कर सकता है और संभावित खतरों को पहले से ही खत्म कर सकता है। इससे युद्ध के समय भारत को दुश्मन पर बढ़त मिलेगी और सुरक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में नया मील का पत्थर
IIT कानपुर द्वारा विकसित किया गया यह आत्मघाती ड्रोन भारत के आत्मनिर्भरता अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ड्रोन आधुनिक तकनीक से युक्त है और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इससे भारत की रक्षा शक्ति और भी मज़बूत होगी और यह पड़ोसी देशों के खिलाफ एक मजबूत संदेश होगा।
Disclaimer: यह जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों के आधार पर प्रस्तुत की गई है। वास्तविकता की पूरी पुष्टि रक्षा मंत्रालय और अन्य सरकारी विभागों द्वारा की जाने वाली आधिकारिक घोषणा के आधार पर होगी।