अमेरिकी टैरिफ हाइक से भारतीय निर्यात पर खतरा, सेवाओं के अधिशेष और प्रेषण प्रवाह से उम्मीदें
के कुमार आहूजा 2024-11-19 15:08:32
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित टैरिफ हाइक भारतीय निर्यात के लिए खतरा बन सकता है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवाओं के व्यापार में अधिशेष और मजबूत प्रेषण प्रवाह से थोड़ी राहत मिल सकती है। क्रिसिल की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के निर्यात क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं प्रमुख हैं।
निर्यात के शुरुआती आंकड़े: पहली तिमाही में मजबूती, दूसरी में गिरावट
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत का वस्त्र निर्यात बढ़ा, जिससे एक सकारात्मक शुरुआत देखी गई। हालांकि, दूसरी तिमाही में यह गति धीमी पड़ी और निर्यात में संकुचन आया। अक्टूबर में स्थिति में सुधार हुआ, जब भारतीय निर्यात 17.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जो पिछले 28 महीनों में सबसे तेज़ वृद्धि दर थी। यह उछाल सितंबर में मात्र 0.5 प्रतिशत की वृद्धि और जुलाई-अगस्त में औसतन 5.8 प्रतिशत की गिरावट के बाद हुआ।
अक्टूबर का शानदार प्रदर्शन: कोर और रत्न एवं आभूषण निर्यात में बढ़ोतरी
अक्टूबर में भारत का निर्यात 39.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें कोर निर्यात में 27.7 प्रतिशत और रत्न एवं आभूषण निर्यात में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कोर निर्यात में मुख्य योगदान इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, रसायन, वस्त्र, मरीन उत्पाद और चावल का था। हालांकि, इस दौरान तेल का निर्यात घटा।
चुनौतियां: चीन के निर्यात में वृद्धि और प्रतिस्पर्धा
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ हाइक और चीनी अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते भारत और अन्य एशियाई देशों पर प्रतिस्पर्धा का दबाव बढ़ रहा है। चीन के निर्यात में वृद्धि और ट्रंप प्रशासन द्वारा चीनी वस्तुओं पर लगाए गए नए टैरिफ भारतीय व्यापार संतुलन पर दबाव बना रहे हैं। भारतीय बाजार में भी चीनी उत्पादों की आक्रामकता से भारतीय उत्पादकों को कठिनाई हो रही है।
वित्तीय असंतुलन: आयात में वृद्धि से व्यापार घाटे में इजाफा
वित्त वर्ष की शुरुआत से ही आयात की वृद्धि ने निर्यात की दर को पीछे छोड़ दिया है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ा है। इस प्रवृत्ति पर निगरानी बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ताकि वित्तीय असंतुलन को समय रहते दूर किया जा सके। हालांकि, भारत के सेवाओं के व्यापार में अधिशेष और प्रेषण प्रवाह से कुछ हद तक स्थिरता बनी हुई है, जिससे चालू खाता सुरक्षित क्षेत्र में बना रहने की संभावना है।
सेवाओं का अधिशेष और प्रेषण प्रवाह से वित्तीय स्थिरता
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत के सेवाओं के व्यापार में अधिशेष और मजबूत प्रेषण प्रवाह भारतीय चालू खाते को सुरक्षित क्षेत्र में बनाए रखेंगे। हालांकि, वस्त्र व्यापार घाटा चिंता का विषय है, लेकिन ये कारक संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। इसके साथ ही, अमेरिका द्वारा चीनी आयात पर लगाए गए टैरिफ के बाद भारत में प्रतिस्पर्धा और चुनौतीपूर्ण स्थितियां बनी रह सकती हैं।
निर्यात क्षेत्र के सामने अनिश्चितताएं और सुधार की संभावना
भारत के निर्यात क्षेत्र को भू-राजनीतिक परिस्थितियों और प्रतिस्पर्धा से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सेवाओं के व्यापार में अधिशेष और प्रेषण प्रवाह के साथ चालू खाता सुरक्षित क्षेत्र में रहने की संभावना है।