कोयला उत्पादन ठप: SECL मणिकपुर कोल माइंस में संविदा कर्मियों की हड़ताल से करोड़ों का नुकसान
के कुमार आहूजा 2024-11-19 12:05:09
दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के मणिकपुर कोल माइंस, कोरबा में पिछले चार दिनों से चल रही संविदा कर्मियों की हड़ताल से कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है। हड़ताल में जुटे कालींगा कंपनी के कर्मचारी वेतन विसंगतियों और बोनस की माँग कर रहे हैं। इनका कहना है कि SECL कर्मचारियों के बराबर छुट्टी और अन्य लाभ दिए जाने चाहिए।
कामबंदी से करोड़ों का नुकसान
हड़ताल के चलते ओवरबर्डन शिफ्टिंग और अन्य कार्य ठप हो गए हैं, जिससे कोयला उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इन हालातों के चलते SECL को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, और सरकारी खजाने को भी नुकसान का सामना करना पड़ा है।
खदानों में खड़ी की गई गाड़ियां, कार्य में बाधा
कर्मचारियों ने कोल माइंस में ट्रकों को खड़ा कर कार्य बंद कर दिया है। वे तब तक काम पर लौटने से मना कर रहे हैं जब तक कि उनकी माँगे पूरी नहीं होतीं। हड़ताल के दौरान कोई ठोस पहल SECL या कालींगा मैनेजमेंट की तरफ से नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी और बढ़ गई है।
SECL प्रबंधन मौन
कोरबा क्षेत्र के SECL महाप्रबंधक दीपक पंड्या ने हड़ताल और हुए नुकसान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष और बढ़ रहा है। इस स्थिति में SECL के लिए हड़ताल खत्म करना और उत्पादन शुरू करना चुनौतीपूर्ण बन गया है।
आर्थिक नुकसान का अनुमान और उत्पादन ठप
हड़ताल से करोड़ों का नुकसान होने की आशंका है, क्योंकि मणिकपुर कोल माइंस SECL के प्रमुख खदानों में से एक है। यहाँ प्रति वर्ष लाखों टन कोयला उत्पादन होता है, और कार्य रुक जाने से स्थानीय उत्पादन पर भी असर पड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर जल्दी समाधान नहीं निकाला गया, तो कंपनी और खजाने पर नुकसान का भार बढ़ सकता है।
समाधान के प्रयास और चुनौती
हालांकि SECL के प्रबंधन की तरफ से कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया गया है, विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मुद्दे को तुरंत सुलझाने के लिए SECL और कालींगा मैनेजमेंट को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। अन्यथा हड़ताल और नुकसान के चलते स्थिति और गंभीर हो सकती है।
SECL मणिकपुर कोल माइंस में चल रही इस हड़ताल से न सिर्फ कंपनी का नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी खजाने पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। आने वाले दिनों में यदि प्रबंधन समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाता है, तो यह हड़ताल और अधिक समय तक चल सकती है, जिससे उत्पादन में और गिरावट की संभावना बनी रहेगी।