कानून के छात्र को नकल करते पकड़े जाने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, 2 साल की रुकावट बरकरार


के कुमार आहूजा  2024-11-19 09:55:34



 

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक छात्र द्वारा परीक्षा में नकल करने के मामले में दो साल की परीक्षा से अयोग्यता के फैसले को सही ठहराया है। इस निर्णय ने कानूनी शिक्षा और पेशे में नैतिकता के महत्व को पुनः स्थापित किया है।

कानून छात्र का परीक्षा में नकल करते पकड़ा जाना

पंजाब विश्वविद्यालय (PU) के BA LL.B के छात्र, रणदीप सिंह, को दिसंबर 2023 में ‘लॉ ऑफ कॉन्ट्रैक्ट’ परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया। परीक्षा के दौरान उनकी उत्तर-पुस्तिका से आपत्तिजनक सामग्री मिली थी, जिसमें उनके ही हाथ से लिखी हुई नोट्स मौजूद थीं। इसी आधार पर विश्वविद्यालय ने उन पर दो साल की परीक्षा में अयोग्यता का प्रतिबंध लगाया।

नैतिकता का पालन: हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

न्यायमूर्ति जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने इस मामले में निर्णय देते हुए कहा कि कानूनी पेशा एक "उत्तम पेशा" है, जिसमें नैतिकता का पालन अनिवार्य है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि एक भविष्य के वकील के तौर पर छात्र का यह कृत्य बेहद गंभीर है और इससे पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचती है। न्यायालय ने अनुच्छेद 226 के तहत इस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया।

अदालत का फैसला: दंड में कोई राहत नहीं

छात्र की दलील थी कि दो साल की परीक्षा में अयोग्यता से उसके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, लेकिन अदालत ने इस दलील को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा लागू किए गए नियमों के अनुसार यह दंड उचित है, और इसमें किसी तरह की रियायत देने का कोई कारण नहीं है।

पंजाब यूनिवर्सिटी का पक्ष

पंजाब यूनिवर्सिटी के वकील ने दलील दी कि छात्र को नकल करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था, और इसके बाद उस पर विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार कार्यवाही की गई। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र के मामले में सहानुभूति दिखाने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि उसके खिलाफ साक्ष्य स्पष्ट हैं।

कोर्ट के अंतिम शब्द

कोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी के नियमावली वॉल्यूम II, 2007 के तहत छात्र को दोषी ठहराते हुए कहा कि परीक्षा से अयोग्यता का यह दंड विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार ही निर्धारित किया गया है, और इसमें कोई भी कमी करना उचित नहीं होगा।

वकीलों की उपस्थिति

इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील मोहित जग्गी ने अदालत में पैरवी की। वहीं, प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता सुभाष आहूजा ने केस प्रस्तुत किया।

इस मामले ने न केवल कानूनी शिक्षा में नैतिकता के महत्व को रेखांकित किया है, बल्कि परीक्षा में अनुशासन और निष्पक्षता के प्रति भी एक सख्त संदेश दिया है। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के इस निर्णय ने साबित कर दिया कि कानून के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही छात्रों को नैतिकता का पालन करना आवश्यक है।


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