(न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हट गई कानूनअंधा नहीं ) CJI संजीव खन्ना की नई नीति: अब केवल ईमेल से ही होंगी अर्जेंट केस की सुनवाई की मांगें, सुप्रीम कोर्ट में बड़ा बदलाव
के कुमार आहूजा 2024-11-19 07:58:01
हाल ही में CJI संजीव खन्ना के पद ग्रहण के बाद से ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और केस लिस्टिंग की प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए गए हैं। मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को नियमित केसों की सुनवाई के बजाय अब केवल अर्जेंट ट्रांसफर पिटीशंस और बेल मामलों को ही सूचीबद्ध किया जाएगा। साथ ही, मौखिक सुनवाई की अर्जियों को पूरी तरह समाप्त करते हुए नई व्यवस्था लागू की गई है जिसमें केवल ईमेल या लिखित रूप से अर्जेंट सुनवाई की मांग की जा सकेगी।
केस लिस्टिंग में बदलाव
CJI संजीव खन्ना ने सुनवाई के लिए केस लिस्टिंग में बदलाव की नई योजना को लागू किया है। अब मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में नियमित केसों की सुनवाई नहीं होगी; केवल अर्जेंट ट्रांसफर पिटीशंस और बेल मामलों पर ही ध्यान केंद्रित किया जाएगा। न्यायालय का यह नया कदम न्यायाधीशों का समय बचाने और त्वरित मामलों को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है।
मौखिक अर्जियों पर रोक
CJI खन्ना ने स्पष्ट किया है कि अब से किसी भी अर्जेंट केस के लिए मौखिक रूप से अर्जियों की अनुमति नहीं होगी। वकीलों को केसों की अर्जेंट सुनवाई के लिए केवल ईमेल या लिखित पत्र का ही उपयोग करना होगा। इस नए नियम का उद्देश्य न्यायालय में समय की बचत करना और न्याय की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।
न्यायिक प्रक्रिया में सुधार
CJI खन्ना ने यह फैसला एक जनहितकारी कदम के रूप में पेश किया है, जिससे समान न्याय तक सबकी पहुंच सुनिश्चित की जा सके। वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने इसे "प्रशंसनीय" बताया है और कहा कि यह न्यायिक समय की बचत करेगा। इस बदलाव से न्यायालय में सुनवाई के कामों को और अधिक व्यवस्थित ढंग से प्रबंधित किया जा सकेगा और सुनवाई की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
वकीलों की प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर वकील समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने इसे पूर्व CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया का विस्तार बताया। दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अश्विनी दुबे ने इसे समय की बचत करने वाला और सराहनीय कदम बताया। हालांकि, कुछ वकीलों का यह भी कहना है कि इस नीति में अत्यधिक अर्जेंट मामलों के लिए मौखिक अर्जियों की अनुमति देने का प्रावधान होना चाहिए ताकि अति संवेदनशील मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके।
नए नियमों के उद्देश्य
CJI खन्ना का मानना है कि ये बदलाव न्यायिक व्यवस्था को आम नागरिकों के लिए अधिक सुलभ और प्रभावी बनाएंगे। उनका मानना है कि इन बदलावों से सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में सुधार आएगा और संविधान के मूल सिद्धांतों का पालन करते हुए प्रत्येक नागरिक को समानता और न्याय का अधिकार मिलेगा।
बहरहाल, CJI संजीव खन्ना के नेतृत्व में ये बदलाव न केवल एक नई शुरुआत का संकेत हैं बल्कि एक सशक्त न्यायिक प्रणाली की ओर एक कदम भी है। उनका यह निर्णय भारतीय न्याय प्रणाली को एक नई दिशा में ले जा सकता है, जहां न्याय की प्रक्रिया न केवल तेजी से बल्कि व्यवस्थित रूप से भी होगी।