आरएसएस पर टिप्पणी मामले में जावेद अख्तर हुए बरी: शिकायतकर्ता ने वापस ली शिकायत


के कुमार आहूजा  2024-11-19 06:02:07



 

मुंबई की एक अदालत ने मशहूर गीतकार जावेद अख्तर को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से जुड़े कथित मानहानि मामले में बरी कर दिया है। यह मामला वकील संतोष दुबे द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि अख्तर ने आरएसएस को हिंदू कट्टरपंथ से जोड़ते हुए मानहानिकारक बयान दिए थे।

शिकायतकर्ता ने अदालत में दी शिकायत वापस लेने की जानकारी

वकील संतोष दुबे ने अदालत को बताया कि उन्होंने और जावेद अख्तर के बीच मध्यस्थता के जरिए मामले का समाधान हो गया है। इसके बाद, दुबे ने अपने मानहानि के आरोपों को आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया और शिकायत वापस लेने की अपील की।

न्यायाधीश ने 8 नवंबर को दिया फैसला

मुलुंड में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट एस.डी. चक्कर ने 8 नवंबर को यह आदेश पारित किया। न्यायालय ने दुबे की शिकायत को वापस लिए जाने का उल्लेख किया और जावेद अख्तर को आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) और धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत आरोपों से मुक्त कर दिया। न्यायालय के आदेश में कहा गया, "शिकायत को वापस लिए जाने के कारण मामले को समाप्त किया गया है और जावेद अख्तर को बरी कर दिया गया है।"

आरएसएस और तालिबान की तुलना से जुड़ा विवाद

शिकायतकर्ता संतोष दुबे ने दावा किया था कि जावेद अख्तर ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में आरएसएस और तालिबान की तुलना की थी, जिससे संगठन की छवि को ठेस पहुंची। दुबे का आरोप था कि अख्तर का यह बयान “सोच-समझकर और सुनियोजित” था, जिसका उद्देश्य आरएसएस की छवि खराब करना था। दुबे ने इसे हिंदू संगठन के प्रति दुर्भावना से प्रेरित बताया और इसे मानहानि का मामला माना।

मध्यस्थता के जरिए मामले का समाधान

इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब दुबे ने अदालत में बताया कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के माध्यम से समझौता हो गया है। दुबे ने आगे कहा कि उन्हें अब मामले को लेकर कोई शिकायत नहीं है और वह आरोप वापस लेना चाहते हैं।

अदालत का निर्णय

अदालत ने दुबे के इस बयान को संज्ञान में लेते हुए जावेद अख्तर को मामले से बरी कर दिया और मानहानि के आरोपों को खत्म कर दिया। न्यायालय ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते का आदर करते हुए मामले का निपटारा कर दिया।


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