राजधानी की ओर फिर बढ़ेंगे किसान : 6 दिसंबर को दिल्ली कूच की घोषणा
के कुमार आहूजा 2024-11-19 05:38:06
आंदोलन का संक्षिप्त विवरण
चंडीगढ़ से एक बार फिर किसानों का आह्वान हुआ है कि वे 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। इस मार्च का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और किसान मजदूर मोर्चा कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि 280 दिनों से यह आंदोलन चल रहा है, परंतु अभी भी उनके मुद्दों पर सरकार से कोई ठोस वार्ता नहीं हो पाई है।
समस्याओं का समाधान न होने पर किसान संगठन नाराज
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने अब तक उनकी मांगों को अनदेखा किया है। अगर 26 नवंबर तक सरकार ने समाधान नहीं दिया, तो वे और कड़े कदम उठाएंगे। उनकी मांगें फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी और आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किसानों की रिहाई जैसी मांगें शामिल हैं।
शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच की योजना
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर एक विशाल मार्च की योजना बनाई है। इस मार्च का उद्देश्य अपनी मांगों को जोर-शोर से केंद्र सरकार के सामने रखना है। शंभू बॉर्डर, जो पंजाब और हरियाणा को जोड़ता है, का यह आंदोलन केंद्र के खिलाफ एक प्रतिरोध की रणनीति है।
सरकारी आरोपों पर किसानों का जवाब
किसानों ने हरियाणा सरकार द्वारा लगाए गए उन आरोपों का भी खंडन किया है जिसमें सड़कें ब्लॉक होने के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि सड़कें बंद करने के लिए किसान नहीं, बल्कि हरियाणा प्रशासन जिम्मेदार है। उन्होंने चेतावनी दी कि 26 नवंबर के बाद भाजपा नेताओं को काले झंडे दिखाकर उनके विरोध का प्रदर्शन किया जाएगा।
पिछले आंदोलन का प्रभाव और भविष्य की योजना
2020–21 में हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन में भी संयुक्त किसान मोर्चा ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन ने न केवल तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस कराने में सफलता प्राप्त की थी, बल्कि किसानों की एकता और सरकार पर दबाव बनाने में भी सफल रहे। किसान संगठनों का कहना है कि वे तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक उनकी मौजूदा मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाते।
सरकारी रुख और सुरक्षा के इंतजाम
पिछले आंदोलनों की तरह, इस बार भी सरकार ने इस संभावित आंदोलन को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने की योजना बनाई है। पुलिस ने दिल्ली के बॉर्डर क्षेत्रों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने का निर्णय लिया है। किसानों के प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर सरकार ने रोकने की कोशिश की तो वे अपने हक की लड़ाई में पीछे नहीं हटेंगे।
यह आगामी आंदोलन केंद्र सरकार और किसानों के बीच टकराव का एक और अध्याय साबित हो सकता है। सरकार और किसान संगठनों के बीच अगर कोई संवाद होता है तो यह आंदोलन टल सकता है, लेकिन फिलहाल किसानों का रुख स्पष्ट है कि उनकी मांगों का समाधान नहीं होगा तो दिल्ली की ओर कदम जरूर बढ़ेंगे।