राजस्थान हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 18 वर्षीय दुर्घटना पीड़ित की आय गणना में हुई बड़ी गलती
के कुमार आहूजा 2024-11-18 07:24:15
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि एक 18 वर्षीय दुर्घटना पीड़ित की आय की गणना न्यूनतम वेतन के आधार पर करना गलत था। कोर्ट ने आय की गणना करने के तरीके को लेकर फैसले की समीक्षा की और इसे सेमी-स्किल्ड श्रमिकों के वेतन के आधार पर सही ठहराया। क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं विस्तार से।
दुर्घटना में मारे गए युवा की आय की गणना पर विवाद
राजस्थान हाईकोर्ट के जोधपुर बेंच में न्यायमूर्ति रेखा बोऱाणा की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण अपील सुनवाई के लिए आई। इस मामले में मुआवजे के लिए याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने 18 वर्षीय युवक की आय को गलत तरीके से निर्धारित किया था। याचिका में यह आरोप था कि मृतक की आय को अव्यावसायिक श्रमिकों के न्यूनतम वेतन के आधार पर जोड़ा गया था, जबकि मृतक को एक थर्मल प्लांट में मैकेनिक के रूप में काम करते हुए प्रति माह 8,000 रुपये मिलते थे।
याचिका में उठाई गई आपत्ति
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से यह आग्रह किया कि मृतक के आय को अव्यावसायिक श्रमिकों के वेतन के बजाय सेमी-स्किल्ड श्रमिकों के वेतन के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मृतक 18 साल का था, इसलिए उसके पास उज्जवल भविष्य और करियर के बेहतरीन अवसर थे, जिसे ध्यान में रखते हुए आय की गणना अधिक होनी चाहिए थी।
बीमा कंपनी का विरोध
वहीं, बीमा कंपनी के वकील ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि अदालत में कोई ठोस प्रमाण नहीं है, जो यह साबित कर सके कि मृतक कहीं काम कर रहा था या उसकी कोई आय थी। मृतक की मां ने स्वयं यह स्वीकार किया था कि उनका बेटा एक छात्र था और उसने काम नहीं किया था। इस तर्क के आधार पर बीमा कंपनी ने आय की गणना को सही ठहराया।
कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति रेखा बोऱाणा ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि भले ही मृतक की नौकरी के बारे में कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं था, लेकिन अदालत यह नजरअंदाज नहीं कर सकती कि मृतक महज 18 वर्ष का था और उसका भविष्य उज्जवल था। इसलिए, उसकी आय को अव्यावसायिक श्रमिकों के न्यूनतम वेतन के आधार पर तय करना उचित नहीं था। अदालत ने निर्णय दिया कि मृतक की आय की गणना सेमी-स्किल्ड श्रमिकों के वेतन के आधार पर की जानी चाहिए।
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि कोर्ट युवा दुर्घटना पीड़ितों के भविष्य और संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए मुआवजे का निर्धारण करेगा, न कि सिर्फ वर्तमान स्थिति को। इस निर्णय से दुर्घटना में मारे गए परिवारों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।