लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, 1300 करोड़ के चुनावी बॉन्ड और लॉटरी घोटाले का खुलासा


के कुमार आहूजा  2024-11-17 16:59:02



 

धनशोधन के मामलों में पहले से घिरे चेन्नई के सैंटियागो मार्टिन, जिन्हें ‘लॉटरी किंग’ के नाम से जाना जाता है, फिर सुर्खियों में हैं। चुनावी बॉन्ड के जरिए 1300 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि राजनीतिक दलों को देने के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी कई संपत्तियों पर छापे मारे हैं।

छापेमारी का उद्देश्य

तमिलनाडु से लेकर कोलकाता और हरियाणा तक फैले करीब 20 परिसरों में गुरुवार को ईडी की टीम ने छापे मारे। इस छापेमारी का उद्देश्य अवैध रूप से कमाई गई संपत्तियों की तह तक पहुंचना और धनशोधन के आरोपों की गहन जांच करना था। मार्टिन के खिलाफ अवैध लॉटरी बेचने, सिक्किम सरकार को 900 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने और धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं​।

चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक कनेक्शन

2019 से 2024 के बीच मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस इंडिया प्रा.लि. द्वारा 1300 करोड़ रुपये मूल्य के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। यह कंपनी सिक्किम की आधिकारिक लॉटरी वितरक है, और चुनावी बॉन्ड खरीद में इतनी बड़ी राशि निवेश करने से मार्टिन की राजनीतिक हलकों में पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है​।

आर्थिक साम्राज्य और विवाद

मार्टिन का व्यवसाय 1980 के दशक में शुरू हुआ था, और धीरे-धीरे उन्होंने लॉटरी उद्योग में अपना वर्चस्व बना लिया। उनके खिलाफ जमीन हड़पने और अवैध तरीके से लॉटरी बेचने के कारण कई मामले दर्ज किए गए। 2011 में एआईएडीएमके सरकार बनने के बाद उनकी कानूनी समस्याएं बढ़ीं, जिसके चलते उन्हें आठ महीने की जेल भी काटनी पड़ी थी।

पहले भी संपत्तियां अटैच

ईडी ने पहले भी मार्टिन की 457 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की थीं, जिन पर लॉटरी में धोखाधड़ी कर अवैध रूप से कमाई गई होने का आरोप है। अब हाल की छापेमारी, उनके दामाद आधव अर्जुन और अन्य सहयोगियों से संबंधित संपत्तियों पर भी की गई है, जो भारतीय बास्केटबॉल महासंघ के अध्यक्ष भी हैं​।

भविष्य की कार्रवाई

मार्टिन पर लगे गंभीर आरोप और लगातार हो रही ईडी की कार्रवाई यह संकेत देती है कि आने वाले समय में इस मामले में और भी नए तथ्य सामने आ सकते हैं। यह मामला लॉटरी उद्योग की पारदर्शिता और इसके राजनीतिक संबंधों को उजागर कर सकता है, जिससे भविष्य में इस क्षेत्र के नियमन में कड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।


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