पतंजलि परिधान के खिलाफ इंन्सॉल्वेंसी याचिका खारिज: विज्ञापन एजेंसी की अपील NCLAT में हुई अस्वीकृत


के कुमार आहूजा  2024-11-17 10:22:27



 

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने बुधवार को पतंजलि के कपड़े ब्रांड "पतंजलि परिधान" के खिलाफ लॉ एंड केनेथ साची एंड साची द्वारा दायर इन्सॉल्वेंसी याचिका खारिज कर दी। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले में NCLAT ने क्यों इस विवाद को “पूर्व-स्थित विवाद” मानकर एजेंसी की अपील अस्वीकार की।

NCLAT का आदेश

NCLAT के जस्टिस योगेश खन्ना और अजय दास मेहरोत्रा ने इस मामले में पाया कि "पतंजलि परिधान" और विज्ञापन एजेंसी के बीच पूर्व में अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) को लेकर विवाद था। NCLAT ने स्पष्ट किया कि IBC के तहत, यदि पार्टियों के बीच पूर्व-स्थित विवाद है, तो इन्सॉल्वेंसी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

विवाद का कारण: NOC का मुद्दा

लॉ एंड केनेथ साची एंड साची ने पतंजलि परिधान के लिए 2018 में एक विज्ञापन बनाने का अनुबंध किया था। 2019 में 2,06,50,000 रुपए का अंतिम बिल जारी किया, जिसमें से 87,50,000 रुपए का भुगतान प्राप्त हुआ था। पतंजलि ने बचे हुए पैसे के भुगतान से पहले NOC की मांग की थी, ताकि वह विज्ञापन का कॉपीराइट पंजीकृत कर सके। इस NOC के न मिलने से भुगतान अटका रहा और विवाद की स्थिति बनी रही।

NCLT का निर्णय और अपील

इलाहाबाद के NCLT ने मई 2023 में पतंजलि के तर्क को मानते हुए एजेंसी की इन्सॉल्वेंसी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद विज्ञापन एजेंसी ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी। हालांकि, NCLAT ने भी NCLT के फैसले का समर्थन किया और अपील अस्वीकार कर दी।

"पूर्व-स्थित विवाद" का सिद्धांत

NCLAT ने अपने आदेश में कहा कि NOC को लेकर एजेंसी और पतंजलि परिधान के बीच पत्राचार व विवाद याचिका दायर करने से पहले का था। इस प्रकार यह “पूर्व-स्थित विवाद” की श्रेणी में आता है, जो कि IBC के तहत याचिका खारिज करने का एक वैध आधार है।

कौन-कौन थे पक्षकार

लॉ एंड केनेथ साची एंड साची की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध कृष्ण गांधी और अनुश्री पोद्दार ने पैरवी की, जबकि पतंजलि परिधान की ओर से अधिवक्ता रोहित गांधी और स्मिता जैन पेश हुए।

यह फैसला कॉर्पोरेट विवादों में पूर्व-स्थित विवाद के महत्व को रेखांकित करता है। साथ ही यह दर्शाता है कि NOC जैसी अनिवार्य शर्तों की अनुपस्थिति में इन्सॉल्वेंसी जैसे गंभीर कानून का दुरुपयोग न हो।


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