टोंक में हिंसा: क्या है सच और कैसे बढ़ी थी तनाव की स्थिति? हालात फिलहाल शांतिपूर्ण
के कुमार आहूजा 2024-11-16 15:35:26
राजस्थान के टोंक जिले में हाल ही में हिंसा भड़कने के बाद हालात फिलहाल शांतिपूर्ण हो गए हैं। 13 नवंबर को हुए उपचुनाव के दौरान, स्वतंत्र उम्मीदवार नरेश मीना द्वारा एक सरकारी अधिकारी को थप्पड़ मारे जाने के बाद स्थिति बिगड़ी थी। इसके बाद नरेश मीना को गिरफ्तार किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। यह घटना उस समय हुई जब नरेश मीना ने चुनावी ड्यूटी पर तैनात उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) अमित चौधरी को थप्पड़ मारा था। इस घटना ने चुनावी माहौल को गरमा दिया और हिंसा की स्थिति पैदा कर दी, जिसमें मीडिया कर्मियों के साथ मारपीट और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था।
नरेश मीना की पृष्ठभूमि और राजनीतिक संबंध
नरेश मीना का परिवार राजनीति में गहरी पैठ रखता है। उनके पिता कलीयान सिंह 30 साल तक ग्राम पंचायत के सरपंच रहे हैं, और उनकी मां वर्तमान में बारां जिले की सरपंच हैं। नरेश मीना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं, लेकिन कई बार पार्टी से बगावत भी कर चुके हैं। इस बार, कांग्रेस द्वारा टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।
हिंसा और इसके बाद की स्थिति
13 नवंबर को मतदान के बाद नरेश मीना और उनके समर्थकों ने पुलिस के साथ संघर्ष किया। कई स्थानों पर पथराव और आगजनी की घटनाएं हुईं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और सड़कें बंद कर दीं। एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा में करीब 60 मोटरसाइकिलें और 18 कारें जल गईं, और कई लोग गिरफ्तार हुए।
सचिन पायलट ने भाजपा सरकार पर लगाया आरोप
कांग्रेस के टोंक विधायक और नेता सचिन पायलट ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया। पायलट ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने न केवल इसका विरोध किया बल्कि पुलिस ने भी हिंसा में भाग लिया।
राज्य सरकार का बयान और पुलिस की कार्रवाई
राजस्थान सरकार ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की है। राज्य के कृषि मंत्री कीरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्दोष लोग प्रभावित न हों। इसके अलावा, जिला कलेक्टर सौम्या झा ने बताया कि जब चुनाव प्रक्रिया समाप्त हुई, तब नरेश मीना ने पुलिस से झगड़ा किया, और पुलिस द्वारा स्थिति नियंत्रित करने के प्रयासों के बावजूद, उन्होंने हमला किया।
नरेश मीना की गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत
नरेश मीना को शुक्रवार को अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया, जहां उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने उन पर सार्वजनिक कार्यों को बाधित करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के चार मामले दर्ज किए हैं।
कुल मिलाकर, यह घटना राजस्थान की राजनीति और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां एक ओर हिंसा का विरोध हो रहा है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप स्थिति को और जटिल बना रहे हैं।