श्री पिताम्बर श्याम के जुलूस पर पथराव के खिलाफ राजस्थान के जहाजपुर में बड़ा विरोध प्रदर्शन और बंद


के कुमार आहूजा  2024-11-16 15:26:24



 

राजस्थान के जहाजपुर कस्बे में पिछले दो महीनों से शांतिपूर्ण जलझूलनी एकादशी के जुलूस के दौरान श्री पिताम्बर श्याम की पालकी पर हुए पथराव के खिलाफ विरोध और बंद की स्थिति जारी है। यह घटना धार्मिक भावना को आहत करने वाली मानी जा रही है, जिसके कारण स्थानीय समुदाय में भारी आक्रोश फैला है। इस पथराव की घटना के बाद, स्थानीय लोगों और संगठनों ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, लेकिन अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

पथराव और प्रदर्शन का कारण

दो महीने पहले जलझूलनी एकादशी के अवसर पर श्री पिताम्बर श्याम का जुलूस किले से बाहर निकाला जा रहा था, तभी कुछ असमाजिक तत्वों ने इस धार्मिक जुलूस पर पथराव कर दिया। इस घटना ने स्थानीय समुदाय को बेहद नाराज कर दिया, जिसके बाद इस हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। कई लोग आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे, और इसके विरोध स्वरूप सुंदर कांड तथा हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इस घटनाक्रम ने जहाजपुर में माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया​।

प्रदर्शन और बंद की घोषणा

घटना के बाद पीताम्बर श्याम संघर्ष समिति ने जुलूस पर पथराव करने वालों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की मांग की। समिति ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो उन्हें आंदोलन तेज करना पड़ेगा। परिणामस्वरूप, शुक्रवार, 15 नवम्बर को जहाजपुर कस्बे में बंद का आयोजन किया गया, और अगले दिनों के लिए भी विरोध प्रदर्शन और बंद की घोषणाएं की गईं। 16 नवम्बर को जहाजपुर तहसील में पूरी तरह से बंद रहेगा, जबकि 17 नवम्बर को शाहपुरा जिले में, और 18 नवम्बर को शाहपुरा और भीलवाड़ा जिले में संयुक्त बंद की योजना बनाई गई है।

स्थिति पर प्रशासन का दृष्टिकोण

हालांकि, प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए कड़ी पुलिस तैनात की है और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश आर्य ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से जनता से दुकानों को खोलने की अपील की, लेकिन यह अपील नगण्य साबित हुई। विरोध की स्थिति में बाजार बंद रहे और पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने में मुश्किलें आईं। प्रशासन की ओर से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से भी इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए संवाद किया गया है।

जहाजपुर का यह मामला केवल एक धार्मिक जुलूस पर हुए हमले का नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ़ उठाए गए कड़े कदमों की आवश्यकता का प्रतीक बन चुका है। अगर इन आंदोलनों का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो यह न केवल जहाजपुर बल्कि पूरे इलाके में तनाव और विवाद को बढ़ावा दे सकता है।


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