केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कैदियों की समय पूर्व रिहाई के लिए नीति बनाए: सुप्रीम कोर्ट का आदेश
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-11-16 06:56:03
जम्मू-कश्मीर में कैदियों की समय से पहले रिहाई के लिए नीति की कमी के कारण, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार को एक ठोस नीति बनाने का निर्देश दिया है। यह आदेश उस समय आया जब एक उम्रकैद की सज़ा भुगत रहे पूर्व सीआरपीएफ अधिकारी आनंद कुमार सिंह ने अपनी रिहाई की याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की अध्यक्षता में आनंद कुमार सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सिंह, जो पूर्व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारी रह चुके हैं, को तीन सिपाहियों की गोली मार कर हत्या करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। उन्होंने जेल में लगभग 18 साल की सज़ा पूरी करने के बाद समय से पहले रिहाई की मांग की।
जम्मू-कश्मीर में समय पूर्व रिहाई के लिए नीति का अभाव
जम्मू-कश्मीर सरकार ने सिंह की समय पूर्व रिहाई की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उनके यहां इस तरह की रिहाई के लिए कोई नीति मौजूद नहीं है। इसे सुनकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि नीति का निर्माण राज्य सरकार का अधिकार है, और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सलाह दी कि वे कैदियों के लिए उपयुक्त समय पूर्व रिहाई नीति तैयार करें।
कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि वे इस मामले को संबंधित अधिकारियों के समक्ष रखें, ताकि इस पर एक उचित नीति तैयार की जा सके। साथ ही कोर्ट ने राज्य के वकील को अनुपालन रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी, 2025 के लिए स्थगित कर दी।
याचिका में वकीलों की भूमिका
इस मामले में याचिकाकर्ता आनंद कुमार सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार, सिमंता कुमार, जया किरण, ज्योति सिंह, अजय चंद शर्मा, और पियूष द्विवेदी ने कोर्ट में पैरवी की।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार पर अब कैदियों के समय से पहले रिहाई के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने का दबाव है।