हाई कोर्ट जज ने वकील को दी चेतावनी, कहा- न्यायपालिका की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-11-15 06:18:37



 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया, जिसमें जजों की छवि को नुकसान पहुंचाने के बारे में एक वकील की लापरवाही पर खेद व्यक्त किया। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने एक मामले में वकील की गलत जानकारी देने पर न केवल खेद व्यक्त किया, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने की चेतावनी भी दी। यह आदेश न्यायपालिका के प्रति लोगों के विश्वास को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करता है।

वकील की गलती पर अदालत का खेद

न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने 11 नवंबर को दिए गए आदेश में बताया कि एक वकील ने मामले के मामले को खींचने से पहले यह जानकारी नहीं दी कि यह वही मामला है जिसमें वह पहले एक पक्ष के वकील के रूप में अदालत में उपस्थित हो चुके थे। अदालत ने इसे एक गंभीर चूक माना क्योंकि इससे न्यायपालिका की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता था।

क्या हुआ था मामले में?

मामला तब शुरू हुआ जब वकील राहुल सहाई ने एक मामले को खारिज करने के लिए आवेदन किया, लेकिन इस आवेदन में यह नहीं बताया गया कि यह वही मामला है, जिसमें जज पहले एक वकील के रूप में शामिल हो चुके थे। यदि अदालत को यह जानकारी मिलती, तो वह इस मामले को किसी अन्य बेंच के पास भेज देती।

न्यायपालिका की छवि पर प्रभाव

कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका का काम आम जनता के विश्वास पर आधारित होता है और वकील भी अपनी भूमिका में सावधानी बरतें ताकि कोई भी ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो जो जनता में संदेह पैदा करे। न्यायालय ने बताया कि यह दोनों पक्षों, यानी जजों और वकीलों की जिम्मेदारी है कि वे किसी भी स्थिति में न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान न पहुंचाएं।

सजा नहीं, बल्कि चेतावनी

हालाँकि अदालत ने इस मामले में वकील के खिलाफ कड़ी टिप्पणी नहीं की, लेकिन उसे भविष्य में अधिक सतर्क रहने की सलाह दी। अदालत ने कहा कि यह गलती जानबूझकर नहीं की गई थी, लेकिन किसी भी स्थिति में न्यायालय की कार्यवाही में लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

अंतिम आदेश

अदालत ने मामले को अब किसी अन्य बेंच के पास भेजने का आदेश दिया और मुख्य न्यायाधीश को सूचित करने के निर्देश दिए। यह कदम अदालत के द्वारा एक सख्त लेकिन समझदारी भरे रुख को दर्शाता है, जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो।

वकील और प्रतिनिधि

मामले में वकील मनीष कुमार निगम और राहुल सहाई ने अपीलकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया, जबकि पक्षकारों की ओर से आरके मिश्रा, अरविंद कुमार, क्षितिज शैलेंद्र (जब वे वकील थे) और नीरज अग्रवाल ने उपस्थिति दर्ज कराई।


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