केंद्र सरकार ने सरकारी मामलों के निष्पक्ष आवंटन के लिए जारी की नई गाइडलाइन्स
के कुमार आहूजा 2024-11-15 05:56:40
केंद्र सरकार के कानून और न्याय मंत्रालय ने उच्च न्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों और ट्रिब्यूनल्स में सरकारी मामलों के निष्पक्ष आवंटन के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश “पैनल काउंसल” में पारदर्शिता लाने के लिए हैं और उनमें मामलों का संतुलित वितरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।
मामले के निष्पक्ष आवंटन की आवश्यकता
मंत्रालय के अनुसार, हाल ही में "लिटिगेशन इंचार्ज" द्वारा सरकारी मामलों के अनुचित और अपारदर्शी आवंटन की कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं। ऐसे मामलों का गलत आवंटन अन्य वकीलों के हितों और सरकार के मामलों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसी के चलते पारदर्शी प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए यह सर्कुलर जारी किया गया।
महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों के लिए वरिष्ठ वकीलों की नियुक्ति
दिशा-निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया है कि संवेदनशील या संवैधानिक मुद्दों से जुड़े बड़े मामलों को सीनियर पैनल काउंसल, जैसे कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, उप सॉलिसिटर जनरल, या सीनियर पैनल काउंसल को सौंपा जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे मामलों में अनुभवी कानूनी सलाहकार सरकार के पक्ष को सशक्त रूप से प्रस्तुत कर सकें।
एक जैसे मुद्दों पर मामलों का समान वकील को आवंटन
यदि दो या अधिक मामलों में कानून या तथ्यों में समानता है, तो उन मामलों को एक ही पैनल काउंसल को आवंटित किया जाएगा, चाहे वे अलग-अलग सुनवाई में हों। इससे न केवल मामलों में निरंतरता बनी रहती है बल्कि कानूनी संसाधनों का भी कुशल उपयोग होता है।
पैनल काउंसल पर कार्यभार की सीमा
नई गाइडलाइन्स के अनुसार, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, उप सॉलिसिटर जनरल या वरिष्ठ पैनल काउंसल को छोड़कर अन्य पैनल काउंसल को केंद्र सरकार के कुल मामलों के 10% से अधिक मामलों का कार्यभार नहीं दिया जाएगा। यह सीमा इसलिए रखी गई है ताकि प्रत्येक वकील पर कार्यभार संतुलित रहे और न्यायिक प्रक्रिया में गुणवत्ता बनाए रखी जा सके।
LIMBS पोर्टल का अनिवार्य उपयोग
सभी पैनल काउंसल को निर्देश दिया गया है कि वे नियमित रूप से अपने LIMBS (लीगल इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड ब्रीफिंग सिस्टम) आईडी को सक्रिय रखें और पोर्टल पर मामलों की स्थिति का नियमित अद्यतन करें। इससे संबंधित विभाग अपने मामलों की स्थिति पर निगरानी रख सकते हैं और न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकते हैं।
मासिक रिपोर्टिंग और केंद्रीय नियंत्रण
मंत्रालय ने पैनल काउंसल को यह भी निर्देश दिया है कि मामलों के आवंटन का मासिक रिपोर्ट तैयार कर इसे नियमित रूप से विभाग को ईमेल के माध्यम से भेजें। इससे विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहेगी, और यह सुनिश्चित होगा कि आवंटन के मामले में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो।