राजस्थान हाई कोर्ट का बड़ा बयान: हथियार दिखावे का प्रतीक बन रहे हैं, आत्मरक्षा के लिए नहीं
के कुमार आहूजा 2024-11-15 05:20:18
राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में हथियार रखने की प्रवृत्ति पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने कहा कि आजकल लोग आत्मरक्षा से अधिक दिखावे के लिए हथियार रखते हैं, जो कि एक खतरनाक प्रवृत्ति है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हथियार रखने का अधिकार एक कानून के तहत दिया गया विशेषाधिकार है, न कि एक मौलिक अधिकार।
हथियार दिखावे का प्रतीक बन रहे हैं: कोर्ट का दृष्टिकोण
न्यायमूर्ति अनुप कुमार धंड ने अपने फैसले में कहा कि भारत में हथियार रखने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आम नागरिकों के पास हथियार रखना एक विशेषाधिकार है, जिसे कानून के दायरे में अनुमति दी जाती है। कोर्ट ने इसे "लॉलेस सोसायटी" के खिलाफ मानते हुए कहा कि समाज को कानून के अनुसार चलाना आवश्यक है।
हथियार लाइसेंस की आवश्यकता और सीमाएं
कोर्ट ने कहा कि आर्म्स एक्ट का उद्देश्य केवल जरूरतमंदों को आत्मरक्षा के लिए हथियार उपलब्ध कराना है। यह आवश्यक नहीं है कि हर किसी को हथियार का लाइसेंस दिया जाए। लाइसेंस उन्हीं को दिया जाना चाहिए जिनके लिए यह जरूरी हो। कोर्ट ने कहा कि "व्यक्तिगत इच्छाओं" के आधार पर लाइसेंस देना अनुचित है।
याचिकाकर्ता का मामला और कोर्ट का निर्णय
यह मामला एक पुलिस अधिकारी की याचिका से संबंधित है, जिसमें उसने अपने पिस्तौल के लिए दूसरा लाइसेंस प्राप्त करने की मांग की थी। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के पास पहले से एक 12 बोर की बंदूक का लाइसेंस है, जो उसके पिता की ओर से एक उपहार है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्क को खारिज कर दिया कि बड़ी बंदूक ले जाना कठिन है और छोटी पिस्तौल की जरूरत है।
भारत और अमेरिका में हथियार कानूनों की तुलना
कोर्ट ने इस अवसर पर अमेरिका के हथियार कानूनों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि अमेरिका में द्वितीय संशोधन के तहत आत्मरक्षा के अधिकार को संविधान में मान्यता प्राप्त है, पर यह अधिकार भी पूर्ण नहीं है और उस पर भी नियम लागू होते हैं। जबकि भारत में ऐसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है। यहां हथियार लाइसेंस एक कानूनी प्रक्रिया है जो सिर्फ जरूरतमंदों को ही दी जाती है।
विशेष मामले का निष्कर्ष
न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता अपने जीवन में कोई विशेष खतरे का सबूत नहीं दे सका, जिसके आधार पर उसे दो हथियार रखने का लाइसेंस दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और याचिका खारिज कर दी गई।
अधिवक्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता महेंद्र शर्मा ने उनका पक्ष रखा, जबकि राज्य की ओर से अधिवक्ता सुमन शेखावत ने दलीलें पेश कीं।