भविष्य की जंग: मानव और मशीन के बीच होगी अगली लड़ाई -सीडीएस जनरल अनिल चौहान का बड़ा बयान
2024-11-14 15:32:24
दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को भविष्य की युद्ध तकनीकों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे युद्ध की प्रकृति बदल रही है और निकट भविष्य में युद्ध केवल मानव के बीच नहीं बल्कि मशीन और मानव के बीच या यहां तक कि मशीनों के बीच भी हो सकता है।
युद्ध की बदलती प्रकृति
जनरल चौहान ने कहा, “हम एक ऐसे दौर में प्रवेश करने वाले हैं, जहां युद्ध का स्वरूप बदल जाएगा। पारंपरिक रूप से लड़ाई हमेशा दो मानवों के बीच होती थी, चाहे वह पहले के समय में घोड़े पर सवार योद्धा हो या आज के समय में लड़ाकू हेलीकॉप्टर पर सवार सैनिक। लेकिन अब हम उस समय की ओर बढ़ रहे हैं, जब युद्ध मशीन और मानव के बीच या केवल मशीनों के बीच भी हो सकता है।"
तीन प्रमुख तकनीकी प्रवृत्तियाँ
जनरल चौहान ने बताया कि तीन बड़ी तकनीकी प्रगति - रोबोटिक्स, गति (हाइपरसोनिक वेग) और अत्यधिक ऑटोमेशन - भविष्य के युद्ध के तरीके को बदलने वाली हैं। उनके अनुसार, रोबोटिक्स में मानव रहित और स्वचालित प्रणालियाँ शामिल हैं जो युद्ध में मानव क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती हैं। दूसरी तकनीक 'सेलेरिटी' या गति है, जिसमें हाइपरसोनिक हथियार और ड्रोन शामिल हैं। तीसरी तकनीक अत्यधिक ऑटोमेशन है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग से संचालित होती है।
रोबोटिक्स का महत्व
सीडीएस ने बताया कि रोबोटिक्स में मानव रहित प्रणालियाँ, स्वचालित हथियार और एक्सोस्केलेटन जैसी तकनीकें शामिल हैं जो मानव सैनिकों की क्षमता को बढ़ा सकती हैं। युद्ध क्षेत्र में ऐसे उपकरणों का उपयोग करके सेना की मारक क्षमता में वृद्धि हो सकती है और जोखिम कम हो सकता है।
हाइपरसोनिक वेग और ड्रोन टेक्नोलॉजी
दूसरी प्रमुख प्रवृत्ति, जिसे जनरल चौहान ने 'सेलेरिटी' नाम दिया, हाइपरसोनिक गति से संबंधित है। इस तकनीक से हथियार प्रणाली इतनी तेज़ गति से चलेगी कि उसे आसानी से न तो देखा जा सकेगा और न ही नष्ट किया जा सकेगा। इससे दूर-दराज़ तक हमले करना आसान हो जाएगा और किसी भी रक्षा प्रणाली का बचाव करना कठिन हो जाएगा।
एआई और मशीन लर्निंग द्वारा संचालित अत्यधिक ऑटोमेशन
तीसरी महत्वपूर्ण तकनीक है अत्यधिक ऑटोमेशन, जो एआई, मशीन लर्निंग और बिग डेटा पर आधारित है। यह न केवल युद्ध निर्णय लेने की गति और गुणवत्ता को बढ़ाएगा बल्कि पारंपरिक 'नेट-सेंट्रिक' युद्ध प्रणाली से 'डेटा-सेंट्रिक' युद्ध प्रणाली की ओर भी हमें ले जाएगा। जनरल चौहान के अनुसार, यह प्रणाली युद्ध के दौरान 'कॉग्निटिव सुपरिऑरिटी' का उद्देश्य पूरा करेगी।
तकनीक का युद्ध पर प्रभाव
जनरल चौहान ने बताया कि तकनीक हमेशा युद्ध को प्रभावित करती रही है, लेकिन कुछ डिसरप्टिव तकनीकें जैसे कि क्वांटम तकनीक और एडवांस्ड मटीरियल भी अब युद्ध के तौर-तरीकों में बदलाव ला सकती हैं। उनका मानना है कि इन तकनीकों का संगम भविष्य की जंग में बड़ा बदलाव ला सकता है।
वैश्विक संघर्ष और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता
यूरोप और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्षों पर पूछे गए प्रश्न पर जनरल चौहान ने कहा कि भारत ने अपने “रणनीतिक स्वायत्तता” को बनाए रखा है और उसने वैश्विक संघर्षों में तटस्थ रहकर अपनी स्थिति को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने इन संघर्षों का सामना करते हुए एक प्रभावी नीति अपनाई है।
कोस्ट गार्ड और असम राइफल्स का एकीकरण
हाल में लखनऊ में आयोजित जॉइंट कमांडर्स कांफ्रेंस का उल्लेख करते हुए जनरल चौहान ने बताया कि रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों को कोस्ट गार्ड और असम राइफल्स के कुछ कार्यों का एकीकरण करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष इन दोनों संगठनों के कार्यों को एकीकृत करने पर विचार किया जा रहा है और आने वाले समय में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के साथ बेहतर संचार और अस्पताल सुविधाओं का भी समन्वय किया जा सकता है।
जनरल अनिल चौहान का यह बयान भारत की भविष्य की रक्षा रणनीति को स्पष्ट करता है, जिसमें नई तकनीकों का समावेश युद्ध के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकता है। आने वाले समय में, मशीनों और मानव के बीच युद्ध एक सामान्य दृश्य बन सकता है।