भारत में जल्द शुरू हो सकती है Elon Musk की Starlink इंटरनेट सेवा, लेकिन शर्तों के साथ


के कुमार आहूजा  2024-11-14 06:48:37



 

एलोन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा Starlink भारत में जल्द शुरू होने की संभावना है, लेकिन इसके लिए कंपनी को सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा। भारत के दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि अगर Starlink सुरक्षा से जुड़ी सभी शर्तों का पालन करती है तो उसे भारत में काम करने की अनुमति मिल जाएगी। इस घोषणा के बाद भारत में इस हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा के संभावित लॉन्च को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है।

Starlink के भारत में प्रवेश पर नीति और सुरक्षा चिंताएँ

Starlink का भारत में लॉन्च कई नीतिगत और सुरक्षा चिंताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। कम ऊँचाई पर स्थित सैटेलाइट्स के नेटवर्क के जरिए Starlink उन दूरस्थ स्थानों में भी इंटरनेट सेवा देने का दावा करती है जहाँ सामान्य नेटवर्क उपलब्ध नहीं है। लेकिन भारत सरकार ने इसे लेकर सुरक्षा चिंताएँ व्यक्त की हैं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, Starlink को भारत में काम करने के लिए डेटा स्टोरेज और अन्य सुरक्षा शर्तों को पूरा करना अनिवार्य होगा।

Starlink और रिलायंस जियो के बीच स्पेक्ट्रम विवाद

भारत में Starlink की एंट्री पर एक और मुद्दा उठा है, और वह है स्पेक्ट्रम आवंटन का। एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति और भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर रिलायंस जियो के प्रमुख मुकेश अंबानी ने स्पेक्ट्रम की नीलामी का समर्थन किया है। जियो ने दूरसंचार नियामक के सामने प्रस्तुतियों में तर्क दिया है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी से सभी खिलाड़ियों के बीच बराबरी बनी रहेगी। दूसरी ओर, एलोन मस्क का मानना है कि सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के लिए स्पेक्ट्रम को नीलामी की बजाय सीधे आवंटित किया जाना चाहिए।

स्पेक्ट्रम आवंटन पर मस्क का रुख

मस्क ने पिछले महीने X (पूर्व में ट्विटर) पर स्पष्ट किया कि आईटीयू (अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ) ने इस स्पेक्ट्रम को सैटेलाइट के लिए साझा स्पेक्ट्रम के रूप में मान्यता दी है। मस्क का तर्क है कि अगर इस स्पेक्ट्रम को नीलामी के माध्यम से दिया जाता है तो इससे सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, नीलामी की प्रक्रिया अधिक महंगी होने की संभावना है, जिससे कंपनियों की सेवाएँ महंगी हो सकती हैं।

Starlink का यूक्रेन में उपयोग और उसकी लोकप्रियता

Starlink ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब ध्यान आकर्षित किया जब उसने रूस के 2022 के आक्रमण के बाद यूक्रेन में युद्ध के मैदान में संचार में सहायता के लिए अपने टर्मिनल भेजे। इस कदम से Starlink की प्रतिष्ठा बढ़ी और इसे संकट की घड़ी में प्रभावी इंटरनेट सेवा प्रदाता के रूप में देखा गया। भारत में भी दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाने के लिए Starlink की संभावित सेवाओं को एक स्वागत योग्य कदम माना जा रहा है।

बाजार विशेषज्ञों का दृष्टिकोण और चुनौतियाँ

Counterpoint Technology Market Research के एसोसिएट डायरेक्टर गैरेथ ओवेन के अनुसार, सैटेलाइट इंटरनेट बाजार अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक है और लाभदायक बनाना कठिन है। कई कंपनियाँ इस सीमित बाजार में अवसर पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिससे प्रत्येक कंपनी एक दूसरे के रास्ते में अड़चन डालने की कोशिश करती है। भारत जैसे बड़े और संभावित बाजार में स्पेक्ट्रम आवंटन का मुद्दा एक महत्वपूर्ण चुनौती है जिसे Starlink और अन्य सैटेलाइट कंपनियों को हल करना होगा।

Starlink का भारत में प्रवेश डिजिटल भारत की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। देश में जहाँ इंटरनेट सेवा अभी भी कई दूरस्थ क्षेत्रों में पहुँच से बाहर है, Starlink जैसी तकनीक इंटरनेट कनेक्टिविटी में क्रांति ला सकती है। हालांकि, इसके लिए Starlink को भारत की सुरक्षा शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है, जिससे देश की सुरक्षा और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित हो सके।


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