दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अम्बुजा सीमेंट पर ₹218 करोड़ स्टाम्प शुल्क की मांग को किया रद्द


के कुमार आहूजा  2024-11-13 12:14:02



 

दिल्ली हाईकोर्ट ने अम्बुजा सीमेंट लिमिटेड पर ₹218 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी की मांग को खारिज कर दिया। यह मांग 2014 में कलेक्टर ऑफ स्टैम्प्स द्वारा की गई थी, जिसमें अम्बुजा सीमेंट और उसकी सहायक कंपनी अम्बुजा सीमेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ACIPL) के विलय पर स्टाम्प शुल्क का भुगतान करने को कहा गया था।

1937 की अधिसूचना का हवाला

जस्टिस सुधीर कुमार जैन की बेंच ने अपने फैसले में 1937 की केंद्र सरकार की अधिसूचना का हवाला दिया, जिसमें संयुक्त पेरेंट कंपनी की सहायक कंपनियों के बीच संपत्ति के हस्तांतरण पर स्टाम्प शुल्क से छूट का प्रावधान है। कोर्ट ने पाया कि अम्बुजा सीमेंट और ACIPL एक ही कंपनी, होल्डरइंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड, मॉरीशस की सहायक कंपनियां हैं, इसीलिए इस अधिसूचना का लाभ उन्हें मिलना चाहिए।

कलेक्टर की कार्रवाई पर कोर्ट का नजरिया

कलेक्टर ऑफ स्टैम्प्स द्वारा जारी 2014 का आदेश अम्बुजा सीमेंट को 353 करोड़ इक्विटी शेयरों पर 3% स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करने के लिए कहता था, साथ ही ₹69 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था। हाईकोर्ट ने यह फैसला उस दो वर्षीय सीमा के आधार पर भी खारिज किया, जिसके भीतर कलेक्टर इस प्रकार की मांग कर सकते हैं। अम्बुजा का विलय 2011 में दर्ज किया गया था, जबकि यह मांग 2014 में की गई थी।

फैसले का महत्व

हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि नियामकीय ढांचे के बाहर किए गए मांगों पर कानूनन अंकुश लगाया जा सकता है। यह फैसला पब्लिक डोमेन में जाकर कंपनियों को राहत देने वाला है।


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