(खबर न्यायालय से) सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बदलाव: अब मौखिक अर्जियों से नहीं होगी सुनवाई, नए नियम लागू
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-11-13 11:05:21
देश की सर्वोच्च अदालत में तत्काल सुनवाई की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव लाया गया है। नए नियमों के तहत, अब कोई भी अधिवक्ता मौखिक रूप से अर्जियां नहीं पेश कर सकेगा। यह बदलाव चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व में लागू किया गया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है।
मौखिक अर्जियों पर रोक का फैसला:
11 नवंबर 2024 को, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने यह घोषणा की कि तत्काल सुनवाई के लिए केवल ईमेल या लिखित अर्जी के माध्यम से ही निवेदन किया जा सकेगा। अदालत का कहना है कि इस प्रक्रिया से अर्जियों की वैधता और आपातकालिकता को सही से आंका जा सकेगा। अब अधिवक्ता सीधे मौखिक अपील करके तत्काल सुनवाई की मांग नहीं कर सकेंगे, जो कि पूर्ववर्ती चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के कार्यकाल में प्रचलित था।
मौखिक सुनवाई की पुरानी प्रक्रिया पर प्रश्न:
पूर्व में अधिवक्ता मौखिक रूप से तत्काल सुनवाई के लिए निवेदन कर सकते थे। यह प्रथा विशेष मामलों जैसे गिरफ्तारी या विध्वंस के मामलों में बेहद प्रभावी मानी जाती थी। हालांकि, इसकी आलोचना भी हुई, क्योंकि कभी-कभी महत्वपूर्ण अर्जियों को प्राथमिकता नहीं मिल पाती थी।
नए नियम का उद्देश्य:
चीफ जस्टिस खन्ना का मानना है कि लिखित और ईमेल आधारित प्रक्रिया से अर्जियों की संजीदगी का सही मूल्यांकन किया जा सकेगा। साथ ही, न्यायालय का कीमती समय भी बचाया जा सकेगा। इस प्रक्रिया से आपातकालीन मामलों को अधिक न्यायिकता के साथ निपटाया जा सकेगा, जिससे न्यायालय पर अत्यधिक दबाव नहीं पड़ेगा।
अधिवक्ताओं की प्रतिक्रिया:
हालांकि, इस बदलाव से अधिवक्ताओं के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ अधिवक्ता इसे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और अनुशासन के लिए लाभकारी मानते हैं, जबकि अन्य इसे आपातकालीन मामलों में जटिलता पैदा करने वाला कदम मानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो प्रक्रिया को अधिक औपचारिक और अनुशासित बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है। इससे न्यायालय की संजीदगी बढ़ेगी और अर्जियों की प्राथमिकता का सही से निर्धारण हो सकेगा। इस निर्णय की समीक्षा भविष्य में इसके प्रभाव के अनुसार की जा सकती है।